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भाजपा की संसदीय बोर्ड और चुनाव समिति का गठन, गडकरी व शिवराज की छुट्टी

नई दिल्लीः भाजपा से एक बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है। पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं वर्तमान केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी के फैसले लेने वाली सर्वोच्च इकाई भाजपा संसदीय बोर्ड से बाहर कर दिया गया है। दोनों नेताओं को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति में भी शामिल नहीं किया है। केंद्र और बिहार सरकार में मंत्री रहे शाहनवाज हुसैन को पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति से बाहर कर दिया गया है। भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का पुनर्गठन करते हुए इनके नए सदस्यों के नाम की घोषणा कर दी है।

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11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड नड्डा होंगे अध्यक्ष

पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते जेपी नड्डा 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, बी एस येदियुरप्पा, सर्बानंद सोनोवाल, के.लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव और सत्यनारायण जटिया को सदस्य के तौर पर संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष संसदीय बोर्ड के सचिव के तौर इसमें शामिल किए गए हैं।

संसदीय बोर्ड के साथ ही नड्डा ने चुनावों में टिकट बंटवारे पर मुहर लगाने वाले केंद्रीय चुनाव समिति का भी पुनर्गठन कर दिया है। पार्टी की 15 सदस्यीय केंद्रीय चुनाव समिति में भी नड्डा अध्यक्ष के तौर पर रहेंगे। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राजनाथ सिंह, अमित शाह, बीएस येदियुरप्पा, सबार्नंद सोनोवाल, के.लक्ष्मण, इकबाल सिंह लालपुरा, सुधा यादव, सत्यनारायण जटिया, भूपेन्द्र यादव, देवेन्द्र फडणवीस, ओम माथुर, और वनथी श्रीनिवासन (पदेन) को इसमें सदस्य के तौर पर शामिल किया गया है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष चुनाव समिति में भी सचिव के तौर पर शामिल किए गए हैं।

संसदीय बोर्ड में शामिल शख्स कितना पावरफुल होता है?

पार्टी अपने उम्मीदवार के चयन से लेकर बड़े फैसले लेने तक में संसदीय बोर्ड के सदस्यों की राय को अहमियत देती है। इस बोर्ड में उसी को शामिल किया जाता है जिस पर पार्टी अपना सबसे ज्यादा भरोसा जताती है। यही वजह है कि संसदीय बोर्ड में शामिल शख्स पार्टी का खास और पावरफुल माना जाता है। उनकी कही हर जरूरी बात पर पार्टी गंभीरता से विचार करती है। वहीं पार्टी में संसदीय बोर्ड के बाद केंद्रीय चुनाव समिति दूसरी सबसे अहम और पावरफुल संस्था होती है। चुनावों में किसे शामिल किया जाएगा और किसे दूर रखा जाएगा, यह अधिकार केंद्रीय चुनाव समिति के पास ही होता है। चुनाव से जुड़े बड़े फैसले जैसे- लोकसभा से लेकर विधानसभा इलेक्शन तक में किसे टिकट मिलेगा, किसका टिकट कटेगा, यह सब यही समिति तय करती है।

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