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भाजपा विधायक दलबहादुर कोरी का कोरोना संक्रमण के चलते निधन, सीएम योगी ने जताया शोक

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रायबरेलीः कोरोना की दूसरी लहर ने हर तरफ अपना प्रकोप मचा रखा है। इसके संक्रमण के चलते अब तक कई लोगों की असमय मौत हो चुकी है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के चार विधायकों का भी कोरोना के चलते निधन हो गया है। इस कड़ी में अब भाजपा विधायक दलबहादुर कोरी का नाम भी जुड़ गया है। दलबहादुर कोरी के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शोक जताया है। उन्होंने कहा कि सलोन रायबरेली से भाजपा विधायक दल बहादुर कोरी का निधन अत्यंत दुःखद है। प्रभु श्रीराम से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें और शोकाकुल परिजनों को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।

दलबहादुर कोरी रायबरेली के सलोन विधानसभा क्षेत्र से चुनकर आये थे और बेहद लोकप्रिय विधायकों में गिने जाते थे। दलबहादुर कोरी को कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी और उन्हें लखनऊ के अपोलो अस्पताल में भर्ती किया गया था, जहां हालात बिगड़ने पर उनकी मौत हो गई। रायबरेली के पद्मनपुर गांव के निवासी दलबहादुर कोरी बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आते थे। वे 1993 में पहली बार विधायक बने और 996 में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री भी रहे। कोरी 2007 में कांग्रेस में शामिल हो गए थे लेकिन जल्द ही दोबारा उनकी भाजपा में वापसी हो गई। उन्हें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का काफी करीबी माना जाता रहा। जनता के बीच बेहद लोकप्रिय और अपनी साधारण छवि से उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई थी।

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दलबहादुर कोरी की लगनशीलता के चर्चे हुआ करते थे। कोरी बेहद साधारण पृष्ठभूमि के थे और कानपुर में रहकर मजदूरी करते थे। पिता की असमय मृत्यु होने पर उन्होंने जानवर चराकर अपना जीवनयापन भी किया। इसी चक्कर मे उनकी पढ़ाई छूट गई और वह कक्षा 8 से आगे नहीं पढ़ पाए। वर्ष 1991 में वह घर लौटे और भाजपा में राजनीति शुरू की। बावजूद इसके उनके मन मे पढ़ने की ललक बनी रही। साल 2010 में उन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा दी और 63.3 प्रतिशत अंक से पास की। उस समय उनकी उम्र 53 वर्ष की थी और उनका हाईस्कूल पास करना चर्चा का विषय बन गया था। दलबहादुर का कहना था कि पढ़ाई की कोई उम्र नही होती और शिक्षा से ही जीवन में बदलाव किया जा सकता है। सरकार के करोड़ों रुपये खर्च करने का कोई मतलब नही यदि जनता खुद शिक्षा के प्रति जागरूक न हो।