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अभिनव बिंद्रा: भारत के पहले ‘गोल्डन बॉय’ ने हर मैदान किया फतेह, 15 की उम्र में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

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नई दिल्लीः ओलंपिक में स्वर्ण जीतने का सपना हर खिलाड़ी का होता है, जो ओलंपिक में क्वालिफाई करता है। उस खिलाड़ी का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। भारत में इस फेहरिस्त में सबसे पहला नाम आता है अभिनव बिंद्रा का। अभिनव ने भारत के ओलंपिक में इतिहास का पहला स्वर्ण पदक जीता था। साल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में अभिनव बिंद्रा ने मेंस 10 मीटर एयर राइफल में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीता था। भारतीय निशानेबाज ने अपने अंतिम शॉट के साथ लगभग 10.8 का स्कोर किया, जिससे भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक स्वर्ण पदक सुनिश्चित हुआ।

बीजिंग 2008 में पुरुषों की एयर राइफल स्पर्धा में उनकी जीत ने न केवल भारत को अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग मानचित्र पर खड़ा किया था, बल्कि देश में इस खेल को एक बड़ी प्रेरणा भी मिली थी। अभिनव बिंद्रा के गौरवशाली करियर में ओलंपिक गोल्ड के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स के साथ साथ वर्ल्ड चैम्पियनशिप का स्वर्ण और कई पदक शामिल हैं। अपने 22 साल लंबे करियर में अभिनव ने 150 से अधिक पदकों को अपने नाम किया। खेल में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें खेल का सबसे बड़ा पुरस्कार खेल रत्न भी प्रदान किया गया है। इसके अलावा वो अर्जुन अवॉर्ड और पद्मभूषण से भी सम्मानित किए जा चुके हैं। अभिनव ने 5 सितम्बर 2016 को अपने सन्यास का ऐलान किया। 28 सितम्बर 2021 अभिनव अपना 39वां जन्मदिन मना रहे हैं। जानते हैं उनके सफर के बारे में।

बचपन से था शूटिंग का शौक

अभिनव बिंद्रा का जन्म 28 सितम्बर 1982 को एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उन्होंने देहरादून में स्थित कुलीन डॉन स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की, लेकिन बाद में चंडीगढ़, पंजाब में स्थित सेंट स्टीफन स्कूल चले गए। वर्ष 2000 में, उन्होंने अपनी हाईस्कूल की शिक्षा पूरी की। उन्होंने कोलोराडो विश्वविद्यालय से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अभिनव को बचपन से ही शूटिंग का शौक रहा है, जिसके चलते उनके माता-पिता ने उन्हें इसी दिशा में आगे कदम बढाने की सलाह भी दी। शूटिंग में उनके शौक को देखते हुए अभिनव के पैरेंट्स ने उनके लिए अपने पटियाला वाले घर में ही शूटिंग रेंज भी बनाया था। इस दौरान उनके कोच डॉ. अमित भट्टाचार्जी और लेफ्टिनेंट कर्नल ढिल्लो रहे। यहीं से अभिनव के शूटिंग के सफर की शुरूआत हो गई।

ओलंपिक में क्वालिफाई करने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी

अभिनव ने बचपन से ही शूटिंग की क्लास लेना शुरू कर दिया था। साल 1998 में अभिनव ने महज़ 15 साल की उम्र में कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लिया और भारत को रिप्रेजेंट किया। 15 साल की उम्र में हिस्सा लेकर वो राष्ट्रमंडल खेलों के सबसे कम उम्र के प्रतिभागी बने। इसके बाद साल 2000 में अभिनव ने सिडनी ओलंपिक में हिस्सा लिया। ये उनका पहला ओलंपिक था। इस वर्ष उनकी उम्र महज़ 17 साल थी और वो ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले सबसे कम उम्र के खिलाथी थे। हालांकि, यह यह प्रतियोगिता उनके लिए निराशाजनक साबित हुई, क्योंकि उन्हें क्वालीफिकेशन दौर में 11वां स्थान हासिल हुआ। जिस कारण वो फाइनल में क्वालीफाई नहीं कर पाए थे, क्योंकि वो टॉप 10 से बाहर थे।

विश्व कप में जीता कांस्य

अभिनव सुर्खियों में आए साल 2001 में, जब उन्होंने म्यूनिख विश्व कप में 597/600 के नए जूनियर विश्व रिकॉर्ड स्कोर के साथ कांस्य पदक अपने नाम किया। यह साल अभिनव के करियर के लिए यादगार साबित हुआ। इस साल उन्होंने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मैचों में छह स्वर्ण पदक अपने नाम किए। उनके इस अद्भुत प्रदर्शन के लिए इसी साल उन्हें मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया, जो खेल के क्षेत्र का सर्वोच्च पुरस्कार है। इसके बाद 2002 में मैनचेस्टर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में अभिनव ने 10 मीटर एयर राइफल पेअर में स्वर्ण पदक और 10 मीटर एयर राइफल एकल में चांदी का पदक अपने नाम किया था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और इसके बाद वे एक के बाद एक मैडल और अवॉर्ड जीतते चले गये। उन्होंने ‘वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप’ भी जीती।

कॉमनवेल्थ में लगाई गोल्ड की झड़ी

इसके बाद अभिनव आए दिन अपने प्रदर्शन से नए कीर्तिमान रचते चले गए। 2002 से लेकर 2014 तक के हर कॉमनवेल्थ गेम्स में बिंद्रा ने गोल्ड मेडल जीता। बिंद्रा ने 2002, 2006, 2010 और 2014 में स्वर्ण पदक जीता। 2004 में एथेंस ओलिम्पिक में अभिनव ने रिकॉर्ड तो कायम किया, लेकिन पदक जीतने से चूक गए। इसके बाद 2006 में, उन्होंने क्रोएशिया के ज़ाग्रेब में आयोजित 2006 आईएसएसएफ वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण जीत कर इतिहास रचा। अभिनव इस उपलब्धि को हासिल करने वाले पहले भारतीय बने। उसी साल मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में, बिंद्रा ने क्रमशः 10 मीटर एयर राइफल (जोड़े) और 10 मीटर एयर राइफल (एकल) में स्वर्ण और कांस्य पदक अपने नाम किया।

ओलंपिक में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय

अभिनव अपने करियर में आए दिन सफलता की सीढ़ी चढ़ते जा रहे थे और नए-नए कीर्तिमान स्थापित करते जा रहे थे। मगर अभी उनके करियर का स्वर्णिम दिवस आना बाकी था। जिसका इंतज़ार उनके साथ-साथ पूरा देश कर रहा था। वो दिन आया 2008 के बीजिंग ओलंपिक में। इस ओलंपिक में अभिनव ने वो कर दिखाया जो अभी तक भारत के लिए कोई नहीं कर सका। 2008 के बीजिंग ओलंपिक के क्वालिफाइंग राउंड में 596 स्कोर के साथ अभिनव ने फाइनल में प्रवेश किया।

इसके बाद 11 अगस्त 2008 को बीजिंग ओलंपिक में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में अपने अंतिम शॉट में 10.8 के स्कोर के साथ 25 वर्षीय स्टार भारतीय निशानेबाज ने स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। अभिनव बिंद्रा भारत के ओलंपिक इतिहास में एकल प्रतिस्पर्धा में स्वरण जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने। वहीं उन्होंने ओलंपिक में गोल्ड के भारत के 28 साल के सूखे को भी खत्म किया। ये दिन भारत के ओलंपिक इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हुआ। अभिनव को उनके इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के लिए 2009 में भारत के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

2016 में खेल को कहा अलविदा

ओलंपिक में इतिहास रचने के बाद साल 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में गगन नांरग के साथ उन्होंने 10 मीटर युगल स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता और उसी इवेंट के व्यक्तिगत स्पर्धा में रजत पदक भी अपने नाम किया। अगले साल उन्होंने एशियन गेम्स में भी अपना पहला पदक जीता, जहां टीम इवेंट में उन्हें रजत पदक मिला। इसके बाद एशियन शूटिंग चैंपियनशिप में भी बिंद्रा ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। 2012 लंदन ओलंपिक में उनका फॉर्म अच्छा नहीं रहा और वह फाइनल में जगह बनाने में नाकाम रहे। इसके बाद 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्हें एक और स्वर्ण मिला, जबकि एशियन गेम्स में दो कांस्य पदक आए। ये उनके लिए 2016 रियो ओलंपिक का टिकट दिलाने के लिए काफी था, जो उनके करियर का आखिरी ओलंपिक रहा। 5 सितम्बर 2016 को अभिनव ने अपने खेल से सन्यास लिया। उन्होंने अपने 22 साल लंबे करियर में 150 से भी अधिक पदकों को अपने नाम किया है। उन्हें देश में ‘गोल्डन बॉय’ के नाम से जाना जाता है।

जल्द बनेगी बायोपिक

शूटिंग से संन्यास लेने के बाद बिंद्रा ने व्यवसाय के क्षेत्र में अपना ध्यान केंद्रित किया, क्योंकि उन्होंने कोलोराडो विश्वविद्यालय से BBA की डिग्री प्राप्त की और फिर उन्हें SRM और काजीरंगा विश्वविद्यालयों द्वारा साहित्य और दर्शन में दो मानद डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने अभिनव बिंद्रा फाउंडेशन नामक एक गैर-लाभकारी संगठन शुरू किया। इसके अलावा वह अंतर्राष्ट्रीय खेल शूटिंग महासंघ और अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के एथलीट आयोगों का हिस्सा रहे। उन्होंने ‘ए शॉट एट हिस्ट्री: माय ऑब्सेसिव जर्नी टू ओलम्पिक गोल्ड’ शीर्षक से अपनी आत्मकथा भी जारी की। वहीं अभिनव बिंद्रा की जीवनी पर जल्द ही बॉलीवुड की एक बायोपिक भी बन रही है, जिसमें अभिनेता हर्षवर्धन कपूर सिल्वर स्क्रीन पर अभिनव बिंद्रा का किरदार निभाएंगे।

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