नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के गुनहगारों को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने बिलकिस बानो के दोषियों को 21 जनवरी तक सरेंडर करने को कहा है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच ने 11 दोषियों की याचिका शुक्रवार को खारिज करते हुए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया।
दोषियों ने सरेंडर करने के लिए मांगा था वक्त
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों की याचिका में कोई दम नहीं है। दरअसल इस मामले में पांचों आरोपियों ने सुप्रीम कोर्ट में सरेंडर करने के लिए समय मांगा था। इनमें गोविंद नाई, प्रदीप मोधिया ने 4-4 हफ्ते, मितेश भट्ट, रमेश चांदना और बिपिन जोशी ने 6-6 हफ्ते में सरेंडर करने का वक्त मांगा था।
कोर्ट दोषियों की याचिका की खारिज
बता दें कि 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई के फैसले को रद्द करते हुए सभी को 4 हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा था। जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि रिहाई को लेकर फैसला लेने का अधिकार गुजरात सरकार को नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार को है।
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अपराध भले ही गुजरात में हुआ हो लेकिन गुजरात सरकार को फैसला लेने का अधिकार नहीं है क्योंकि मुकदमा महाराष्ट्र में चल रहा है। कोर्ट ने सभी दोषियों को दो हफ्ते के अंदर सरेंडर करने का आदेश दिया था।
गैंगरेप के दौरान गर्भवती थी बिलकिस बानो
गौरतलब है कि गुजरात में गोधरा ट्रेन अग्निकांड 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। घटना के वक्त बिलकिस बानो 21 साल की थीं और 5 माह की गर्भवती थीं।
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