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दोहरे हत्याकांड के बाद गैंगवार से सहमा हुआ है बेगूसराय का बाघी मोहल्ला

बेगूसरायः पटाखों की आड़ में गोलियों से दहले बेगूसराय में घटना के 24 घंटे बाद भी दहशत का माहौल कायम है। घटनास्थल बाघी में हुए दोहरा हत्याकांड के बाद मोहल्ले में घूम रहे नए चेहरे लोगों की दहशत के कारण हैं। घात-प्रतिघात में गैंगवार होने और इसके चपेट में आम लोगों के आने की संभावना से सहमे हुए हैं आम लोग, घटनास्थल की भयावहता डरा रही है।

जुआ खेलने के दौरान शुक्रवार की अहले सुबह पुलिस गश्त कर रही थी कि बगान में ताबड़तोड़ गोली चलने शुरू हो गई। जिसमें कुख्यात अपराधी रणधीर महतों का चचेरा भाई पंकज कुमार उर्फ किशोर तथा रणधीर के गैंग में काम कर रहे शूटर समस्तीपुर जिला के विभूतिपुर थाना क्षेत्र निवासी संतोष कुमार मारा गया। इसके साथ ही तीन युवक गोली से घायल होकर जीवन मृत्यु से जूझ रहे हैं। इस हत्याकांड के बाद तरह-तरह की चर्चाएं चल रही है। कहा जा रहा है कि हाल के दिनों में बाघा के आसपास जमीन की एक बड़ी डीलिंग हुई थी, करोड़ों की डीलिंग को लेकर दो गिरोह लगातार एक दूसरे को मात देने की कोशिश में थे।

जिला मुख्यालय के बाघा ठाकुरबारी के समीप बगान में जिस जगह यह वारदात हुई, वहां चार-पांच दिनों से जुआ का खेल चल रहा था। दीपावली को भी यह खेल लगातार जारी था, दिन में बहस भी हुई थी, इसी दौरान शुक्रवार को अहले सुबह करीब चार बजे दो गुटों में बहस हो गई। दूसरे गुट के लोगों को पता चला कि खेल में बड़ा फायदा हो रहा है, पैसा मिल सकता है बदला भी लिया जा सकता है। मौके पर दूसरा गुट पहुंचा और गोलीबारी शुरू किया तो दोनों ओर से ताबड़तोड़ गोली गोली चलने शुरू हो गई। घटना स्थल से बरामद स्कूटी, गोली और गांजा पुलिस को बड़ा इनपुट दे सकती है।

सूत्रों का कहना है कि परिवार के लोग पंकज को दुकानदार बताते हैं, लेकिन नागदह निवासी हरदेव महतों का इकलौता पुत्र पंकज कुमार, कुख्यात रणधीर महतों का चचेरा भाई था। रणधीर के जेल जाने के बाद गिरोह संचालन समेत अलग-अलग जगहों से वसूली की जिम्मेदारी संभाल रहा था। जबकि मारा गया दूसरा युवक समस्तीपुर जिला का मोस्ट वांटेड अपराधी संतोष, तीन वर्ष पूर्व जेल से निकलने के बाद रणधीर के संरक्षण में रह रहा था। नया मोहल्ला बसने के कारण यहां अपराध के पुराने इतिहास के साथ-साथ जमीन का भी कारोबार है, जमीन के सौदेबाजी में आधे दर्जन से अधिक हत्याएं हो चुकी है, इस हत्या में भी बहाना जुआ का खेल बना। दोनों गुट जुआ खेलवा रहे थे तो स्वभाविक है कुछ ना कुछ होगा ही। प्रशासन ना तो जुआ रुकवा सकी, ना तेज आवाज वाले पटाखे की बिक्री। इसी की आड़ लेकर अहले सुबह जब लोग दीपावली की खुमारी में डूबे ही थे कि जिला मुख्यालय का बाघा मोहल्ला गोलियों की बौछार से गूंज उठा। घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर पुलिस की गश्ती टीम भी मौजूद थी, लेकिन लोहिया नगर ओपी प्रभारी को जब मोबाइल पर गोली चलने की सूचना मिली उसके बाद पुलिस पहुंच सकी। फिलहाल इस हत्याकांड के पीछे एक बड़ा सवाल यह भी है कि पंकज के बहन की शादी 21 नवंबर को होनी थी। घर में सब लोग बेटी के शादी की तैयारी में जुटे थे, पंकज भी तन मन से तैयारी कर रहा था। लेकिन बहन की डोली उठने से पहले ही एक भाई की अर्थी घर से क्यों निकली है।

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