लखनऊः खेत में खड़ी अरहर की फसल को देखकर किसान फिलहाल काफी खुश हो रहे हैं। इसका कारण है कि इस बार की यह फसल काफी अच्छी दिख रही है। पौधों में बढ़वार है और इनमें तमाम शाखाएं भी निकल चुकी हैं। खेतों में पर्याप्त नमी होने का भी इन पौधों को फायदा मिल सकता है लेकिन अगर जरा भी लापरवाही बरती तो अरहर के उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में पौधों की निगरानी करते रहें और किसी प्रकार से भी पौधों के विकास में अवरोध आए, तो इनका उपचार भी करें।
हमारे यहां दलहन उत्पादन काफी है। किसानों को बताया जा रहा है कि आत्मनिर्भर बनने की कवायद में दलहन काफी मदद कर सकता है, लेकिन मौसम की अनिश्चितताओं के बीच खेती करनी होती है। खेतों में कब बारिश का पानी भर जाए या कब कौन सा रोग हावी हो जाए, यह कोई नहीं जानता है। ऐसे में दालों का बेहतर उत्पादन लेना मुश्किल होता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन के कारण कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है इसलिए किसानों को अब अरहर में सावधानियां बरतने की सलाह दी जा रही है, ताकि फसल में जोखिम की सम्भावनाएं न हों। शहर के बाहर खरीफ सीजन की बुवाई के लिए ज्यादातर किसानों ने अपने खेतों में अरहर की फसल लगाई हैं। इनकी बढ़वार अच्छी है।
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कृषि वैज्ञानिक डॉ. सत्येंद्र कुमार बताते हैं कि इस समय अरहर की फसल में खर-पतवार उगने लगते हैं। इनमें खर-पतवार नाशी दवा का छिड़काव करना ही असरकारी होता है। कुछ खर-पतवारों को बार-बार निकाला जाता है लेकिन जड़ें जमीन पर रह जाती हैं और यह पल्लव लेकर फसल को क्षति पहुंचाती हैं। अरहर के लिए निराई-गुड़ाई काफी जरूरी होती है। इससे खेत में लगने वाले खर-पतवारों की संभावनाएं कम हो जाती हैं। सबसे ज्यादा नुकसान भी इसी से होता है। इसके अलावा खेत में जल निकासी का प्रबंध भी कर लें, जिससे फसलों में बारिश के पानी का जमाव न हो। यदि खेत में पानी जमा रहता है, तो इससे जड़ में गलन या सड़न पैदा हो सकती है।
-शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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