बस्तर दशहरा: निशा जात्रा में दी जाएगी 11 बकरे, कबूतर व मोंगरी मछलियों की बलि

 

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ के बस्तर दशहरा का प्रमुख विधान में आज महाअष्टमी पूजा विधान जारी है। वहीं आज मध्य रात्रि में निशा जात्रा पूजा विधान संपन्न होगी। निशा जात्रा पूजा विधान में आधी रात अनुपमा चौक के समीप मंदिर में 11 बकरों की बलि दी जाएगी।

बता दें, बस्तर दशहरा की रस्मों में अश्विन अष्टमी व नवमी को रथ परिक्रमा नहीं होती है, वहीं देवियों को प्रसन्न करने के लिए निशा जात्रा पर बकरों के अवाला कुम्हड़ा और मछली की बलि दी जाती है। दशहरा के दौरान सप्तमी तक रथ परिक्रमा के बाद अष्टमी व नवमी को रथ परिचालन विधान नहीं होता। अष्टमी की आधी रात अनुपमा चौक के समीप निशा जात्रा मंदिर में 11 बकरों की बलि दी जाती है। मावली माता मंदिर में दो, राजमहल के सिहंड्योढ़ी में दो, कालीमंदिर में एक बकरे की बलि दी जाती है, जबकि दंतेश्वरी मंदिर में एक काले कबूतर व 07 मोंगरी मछलियों की बलि दी जाएगी।

यह भी पढ़ें-हमीरपुर: नवरात्रि के आखिरी दिन मंदिरों में मची महागौरी पूजा की धूम

बता दें, बस्तर दशहरा की परंपरा में भोज भी है और सजा भी। इस पर्व के दौरान देवी के छत्र को घुमाने के लिए रथ निर्माण का काम बेड़ा उमरगांव और झार उमरगांव निवासी संवरा जाति के लोग करते हैं। इन कारीगरों को गांव लौटते ही सजा मिलती है। आरोप होता है कि दूसरी जाति के लोगों का रथ बनाने में सहयोग क्यों लिया। कारीगर गांव पहुंचकर दंड सहर्ष स्वीकर करते हैं और पूरा गांव सामूहिक भोज का आनंद लेता है।