धमतरी में बनेगा बाल मित्र थाना, निराश्रित बच्चों को रात में मिलेगा ठिकाना

धमतरी: जिले में एक बाल मित्र थाना (Bal mitra thana) विकसित किया जाएगा। यहां ऐसे बच्चे (children), जो रात के वक्त मिलते हैं, उन्हें रात में रखने की व्यवस्था की जाएगी। बाल संरक्षण (child protection) को लेकर यह व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्णय गुरुवार को कलेक्टर पीएस एल्मा की अध्यक्षता में आयोजित जिला बाल संरक्षण समिति की बैठक में लिया गया। कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में सुबह 10 बजे से सखी वन स्टाप सेंटर, नवा बिहान योजना की प्रगति और ज़िला बाल संरक्षण समिति की बैठक आज कलेक्टर ने ली। उन्होंने बाल सक्षम नीति 2022 में दिए गए निर्देशों का महिला एवं बाल विकास सहित अन्य संबंधित विभागों को भी पालन सुनिश्चित करने कहा।

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इस मौके पर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास जगरानी एक्का ने बताया कि बालगृह के 20 बच्चों (children) का स्वामी आत्मानंद हिंदी माध्यम स्कूल हटकेश्वर में दाखिला कराया गया है। चार नए बच्चों का स्कूल में प्रवेश शेष है। इस पर कलेक्टर ने जल्द से जल्द बच्चों का स्कूल में दाखिला करने पर बल दिया। इसी तरह पुलिस विभाग द्वारा ’एक युद्ध नशे के विरुद्ध’ अभियान चलाया जा रहा है। कलेक्टर ने इसमें अब महिला एवं बाल विकास विभाग को भी शामिल करने कहा, जो बच्चों (children) के संरक्षण और उत्थान में सहयोगी साबित हो सके।

बैठक में आयुक्त नगर निगम से ऐसे बच्चों (children) की जानकारी साझा करने कही गई, जिनके माता-पिता की मृत्य हो गई या अभिभावक द्वारा बच्चे का परित्याग कर दिया गया, जिससे इन बच्चों का पुनर्वास किया जा सके। बच्चों के पुनर्वास नीति के बारे में लोगों में जागरुकता लाने निगम के अमले द्वारा कचरा कलेक्ट करने वाली वाहनों के जरिए गलियों, बाजारों में लाउड स्पीकर के जरिए प्रचार-प्रसार भी करने कलेक्टर ने बैठक में बल दिया। बैठक में स्वास्थ्य, पंचायत, कौशल विकास आदि से भी बाल संरक्षण से जुड़े मद्दों पर चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए गए। इसी तरह सखी वन स्टाॅप सेंटर में रिक्त पदों की जल्द भर्ती करने पर कलेक्टर ने बैठक में ज़ोर दिया। कलेक्टर ने बैठक में अप्रैल 2017 से अब तक सखी वन स्टॉप सेंटर में मिले प्रकरण, निराकरण, काउंसिलिंग, एफआईआर आदि की भी जानकारी ली। इस अवसर पर जिला बाल संरक्षण समिति के सदस्य मौजूद रहे।

स्कूलों को देनी होगी जानकारी –

कलेक्टर ने जल्द से जल्द बच्चों (children) का स्कूल में दाखिला करने पर बल दिया। साथ ही ऐसे बच्चे, जो लगातार 30 दिनों तक बिना सूचना के स्कूल से अनुपस्थित पाए गए, उनके प्राचार्य/प्रधानपाठक की जिम्मेदारी होगी कि ऐसे बच्चों (children) की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को दें। इसके अलावा जिला बाल संरक्षण अधिकारी को भी इसकी जानकारी देने कहा गया, जिससे यदि जरूरत पड़े तो ऐसे बच्चे के पुनर्वास की व्यवस्था की जा सके।

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