Thursday, December 5, 2024
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UP Politics: BSP में सियासी संकट, वोटों के लिए तरस रही पार्टी

UP Politics: उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। लोकसभा चुनाव में शून्य पर आउट हुई पार्टी उपचुनाव में भी एक भी सीट नहीं जीत पाई। बल्कि उसके बचे-खुचे कैडर वोट बिखरकर दूसरे खेमे में चले गए।

BSP पर मंडराया सियासी संकट

नतीजे बताते हैं कि चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी BSP के लिए बड़ी परेशानी खड़ी कर रही है। इस चुनाव में बसपा छोटे दलों से हारती नजर आ रही है। ऐसे में उसके भविष्य पर सियासी संकट मंडरा रहा है। उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने सिर्फ आठ सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। मुजफ्फरनगर के मीरापुर में आजाद समाज पार्टी को 12.21 फीसदी से कुछ ज्यादा (22,661) वोट मिले। जबकि बसपा इस सीट पर सिर्फ 1.75 फीसदी (3248) वोट पाकर पांचवें स्थान पर रही। ओवैसी की पार्टी को इससे कहीं ज्यादा यानी 10.17 फीसदी (18869) वोट मिले।

कुंदरकी सीट पर चौथे स्थान पर रही BSP

मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर भी चंद्रशेखर आजाद की पार्टी तीसरे नंबर पर रही और उसे यहां 6.39 फीसदी यानी 14 हजार दो सौ एक वोट मिले। जबकि बीएसपी को सिर्फ 0.49 फीसदी (1099) वोट ही मिल सके। दोनों सीटों पर बीएसपी का प्रदर्शन जिस तरह से रहा है, उससे पता चलता है कि कैडर वोट उनके पाले से खिसक गया है। इसे वापस पाना बीएसपी के लिए काफी मुश्किल होगा। आजाद समाज पार्टी भले ही एक भी सीट न जीत पाई हो, लेकिन उसने बीएसपी के वोटों में सेंध जरूर लगाई है।

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2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले मिले कम वोट

नतीजों पर नजर डालें तो अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर बीएसपी ने अच्छा प्रदर्शन किया, जहां उसके उम्मीदवार अमित वर्मा को 41,647 वोट मिले। वहीं मझवां के उम्मीदवार दीपक तिवारी उर्फ ​​दीपू तिवारी को 34,927 और फूलपुर में 20,342 वोट मिले। हालांकि, तीनों सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले कम वोट मिले हैं।

मायावती का बड़ा ऐलान

BSP प्रमुख मायावती ने नतीजे आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तक चुनाव आयोग इसे रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाता, बसपा देश में कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव पूरी ताकत से लड़ेगी। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बसपा का प्रदर्शन चुनाव दर चुनाव खराब होता जा रहा है। लोकसभा के बाद हुए उपचुनावों में बसपा ने सबसे खराब प्रदर्शन किया है। कई सीटों पर उसे छोटे दलों से भी कम वोट मिले हैं।

उन्होंने कहा कि नौ सीटों के उपचुनाव को बसपा के किसी बड़े नेता ने गंभीरता से नहीं लिया। किसी ने यहां प्रचार करने की जहमत तक नहीं उठाई। महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव प्रचार देखने के चक्कर में यूपी की जमीन खिसक गई। उन्होंने कहा कि लोकसभा के बाद हुए उपचुनावों में भी बसपा अपना खाता नहीं खोल पाई। इतना ही नहीं उपचुनावों में पश्चिमी यूपी समेत छह सीटों पर बसपा अपनी जमानत भी नहीं बचा पाई। ऐसी स्थिति में इसका राजनीतिक भविष्य खतरे में है।

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