नई दिल्लीः अखण्ड सौभाग्य की मनोकामना के साथ सुहागिन महिलाएं शुक्रवार (19 मई 2023) को वट सावित्री का व्रत रखेंगी। हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री पूजा की जाती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे बरगदाई अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत कर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वट वृक्ष को देव वृक्ष माना जाता है। इस वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और अग्रभाग में भगवान शिव का वास होता है। ऐसा कहा गया है कि प्रलय काल के दौरान इसी वृक्ष के पत्तों पर भगवान श्रीकृष्ण ने बालरूप में मार्कण्डेय ऋषि को प्रथम दर्शन दिए थे।
वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि गुरूवार (18 मई) को सुबह 09.43 मिनट पर प्रारंभ होगी शुक्रवार (19 मई) को रात 09.22 मिनट पर इसका समापन होगा। शुक्रवार को पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातःकाल 05.21 मिनट से लेकर पूरे दिन तक रहेगा।
वट सावित्री व्रत की पौराणिक कथा
वट सावित्री व्रत के पीछे भी एक पौराणिक कथा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पति सत्यवान की मृत्यु के बाद देवी सावित्री ने एक वट वृक्ष के तपस्या करके धर्मराज यमराज को प्रसन्न किया था और उनसे आशीर्वाद स्वरूप अपने पति का जीवन मांगा था। तभी से सुहागिन महिलाएं यह व्रत को करती हैं।
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वट सावित्री व्रत के दिन बन रहा शुभ संयोग
इस साल वट सावित्री व्रत के दिन बेहद शुभ संयोग बन रहे हैं। इस दिन व्रत और पूजन करने से भगवान शनि की कृपा भी जरूर बनी रहेगी। क्योंकि इस दिन शनि अपनी स्वराशि कुंभ में विराजमान होंगे। जिससे शश नाम राजयोग बन रहा है। इसके अतिरिक्त इस दिन सिद्धि योग भी लग रहा है। इस दिन चंद्रमा गुरू के साथ मेष राशि में होंगे जिसके चलते गजकेसरी योग भी बन रहा है।
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