Featured ज्ञान अमृत

शुभ-अशुभ स्वप्न, उनके फल तथा उनकी शांति का उपाय

dreams

श्री ब्रह्मवैवर्तपुराण में श्रीकृष्ण एवं नन्द जी का संवाद है जिसमें श्रीकृष्ण ने नन्द जी को विविध उपदेश दिया है तथा स्वप्नों के विषय में भी उपदेश दिया है। नन्द जी ने पूछा- प्रभो! किस स्वप्न से कौन सा पुण्य होता है और किससे मोक्ष एवं सुख की सूचना मिलती है ? कौन-कौन सा स्वप्न शुभ बताया गया है ?

श्रीकृष्ण भगवान् बोले - तात्! वेदों में सामवेद समस्त कर्मों के लिये श्रेष्ठ बताया गया है। इसी प्रकार कण्वशाखा के मनोहर पुण्यकाण्ड में भी इस विषय का वर्णन है। जो दुःस्वप्न है और जो सदा पुण्य फल देने वाला सुस्वप्न है, वह सब जैसा पूर्वोक्त कण्वशाखा में बताया गया हैः उसका वर्णन करता हूँ, सुनो। यह स्वप्नाध्याय अधिक पुण्य-फल देने वाला है। अतः इसका वर्णन करता हूँ। इसका श्रवण करने से मनुष्य को गंगास्नान के फल की प्राप्ति होती है। रात के पहले पहर में देखा गया स्वप्न एक वर्ष में फल देता है। दूसरे पहर का स्वप्न आठ महीने में, तीसरे पहर का स्वप्न तीन महीनों में और चौथे प्रहर का स्वप्न एक पक्ष में अपना फल प्रकट करता है। अरूणोदय की बेला में देखा गया स्वप्न दस दिन में फलद होता है। सुबह के स्वप्न में यदि तुरन्त नींद टूट जाये तो तत्काल फल देने वाला होता है। दिन को मन में जो कुछ देखा और समझा गया है, वह सब अवश्य सपने में लक्षित होता है। तात! चिन्ता या रोग से युक्त मनुष्य जो स्वप्न देखता है, वह सब निःसंदेह निष्फल होता है।

जो जड़तुल्य है, मल-मूत्र के वेग से पीड़ित है, भय से व्याकुल है, नग्न है और बाल खोले हुए है, उसे अपने देखे हुए स्वप्न का कोई फल नहीं मिलता। निद्रालु मनुष्य स्वप्न देखकर यदि पुनः नींद लेने लग जाता है अथवा मूढ़तावश रात में ही किसी दूसरे से कह देता हैः तब उसे उस स्वप्न का फल नहीं मिलता। किसी नीच पुरूष, शत्रु, मूर्ख मनुष्य, स्त्री से अथवा रात में ही किसी दूसरे से स्वप्न की बात कह देने पर मनुष्य को विपत्ति, दुर्गति, रोग, भय, कलह, धनहानि एवं चोर-भय का सामना करना पड़ता है। सपने में गौ, हाथी, अश्व, महल, पर्वत और वृक्षों पर चढ़ना, भोजन करना तथा रोना धनप्रद कहा गया है। हाथ में वीणा लेकर गीत-गाना खेती से भरी हुई भूमि की प्राप्ति का सूचक होता है। यदि स्वप्न में शरीर अस्त्र-शस्त्र से विद्ध हो जाय, उसमें घाव हों, कीड़े हो जायें, विष्ठा अथवा खून से शरीर लिप्त हो जाय तो यह धन की प्राप्ति का सूचक है। स्वप्न में अगम्या स्त्री के साथ समागम धन अथवा भार्या प्राप्ति की सूचना देने वाला है।

जो स्वप्न में मूत्र से भीग जाता, वीर्यपात करता, नरक में प्रवेश करता, नगर या लाल समुद्र में घुसता अथवा अमृत पान करता हैः वह जगने पर शुभ समाचार पाता है और उसे प्रचुर धनराशि लाभ होता है। स्वप्न में हाथी, राजा या राजातुल्य व्यक्ति, सुवर्ण, वृषभ, धेनु, दीपक, अन्न, फल, पुष्प, कन्या, छत्र, ध्वजा और रथ या वाहन का दर्शन करके मनुष्य कुटुम्ब, कीर्ति और विपुल सम्पत्ति का भागी होता है। भरे हु, घड़े, उत्तम ब्राह्मण, अग्नि, फूल, पान, मन्दिर, श्वेत धान्य, नट एवं नर्तकी को स्वप्न में देखने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। गोदुग्ध और घी के दर्शन का भी यही फल है। सपने में कमल के पत्ते पर खीर, दही, दूध, घी, मधु और मिष्ठान खाने वाला मनुष्य भविष्य में अवश्य ही राजा तुल्य सुख प्राप्त करता है। छत्र, पादुका और निर्मल एवं तीखे खड्ग की प्राप्ति धान्य-लाभ की सूचना देती है। खेल-खेल में ही पानी के ऊपर तैरने वाला मनुष्य प्रधान होता है। फलवान वृक्ष का दर्शन और सर्प का दंशन धन-प्राप्ति का सूचक है। स्वप्न में सूर्य और चन्द्रमा के दर्शन से रोग दूर होता है। घोड़ी, मुर्गी और क्रौची को देखने से भार्या का लाभ होता है। स्वप्न में जिसके पैरों में बेड़ी पड़ गयी हो, उसे प्रतिष्ठा और पुत्र की प्राप्ति होती है। जो सपने में नदी के किनारे नये अथवा फटे-पुराने कमल के पत्ते पर दही मिला हुआ अन्न और खीर खाता है, वह भविष्य में राजा या राजातुल्य होता है। जलौका (जोंक), बिच्छू और सांप यदि स्वप्न में दिखाई दे तो धन, पुत्र, विजय एवं प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।

सींग और बड़ी-बड़ी दाढ़ वाले पशुओं, सूअरों और वानरों से यदि स्वप्न में पीड़ा प्राप्त हो तो मनुष्य निश्चय ही राजा होता और प्रचुर धन-राशि प्राप्त कर लेता है। जो स्वप्न में मछली, मांस, मोती, शंख, चन्दन, हीरा, शराब, खून, सुवर्ण, विष्ठा तथा फले-फूले बेल और आम को देखता है, उसे धन मिलता है। प्रतिमा और शिवलिंग के दर्शन से विजय और धन की प्राप्ति होती है। प्रज्वलित अग्नि को देखकर मनुष्य, धन, बुद्धि और लक्ष्मी पाता है। आंवला और कमल धनप्राप्ति का सूचक है। देवजा, उत्तम ब्राह्मण, गौ, पितर, और साम्प्रदायिक चिन्हधारी पुरूष स्वप्न में परस्पर जिस वस्तु को देते हैं, उसका फल भी वैसा ही होता है। श्वेत वस्त्र धारण करके श्वेत पुष्पों की माला और श्वेत अनुलेपन से सुसज्जित सुन्दरियां स्वप्न में जिस पुरूष का आलिंगन करती हैं, उसे सुख और सम्पत्ति की प्राप्ति होती है। जो पुरूष स्वप्न में पीत वस्त्र, पीले पुष्पों की माला और पीले रंग का अनुलेपन धारण करने वाली स्त्री का आलिंग करता है उसे कल्याण की प्राप्ति होती है।

स्वप्न में भस्म, रूई और हड्डी को छोड़कर शेष सभी श्वेत वस्तु, प्रशंसित है और कृष्णा गौ, हाथी, घोड़े, ब्राह्मण तथा देवता को छोड़कर शेष सभी काली वस्तु, निन्दित हैं। स्वप्न में रत्नमय आभूषणों से विभूषित दिव्य ब्राह्मण जातीय स्त्री मुस्कुराती हुई जिसके घर में आती है, उसे निश्चय ही प्रिय पदार्थ की प्राप्ति होती है। स्वप्न में ब्राह्मण देवता का स्वरूप है और ब्राह्मणी देवकन्या का। ब्राह्मण और ब्राह्मणी संतुष्ट हो मुस्कुराते हुए स्वप्न में जिसको कोई फल दें उसे पुत्र होता है। पिताजी! ब्राह्मण स्वप्न में जिसे शुभाशीर्वाद देते हैं उसे अवश्य ऐश्वर्य प्राप्त होता है। सपने में संतुष्ट ब्राह्मण जिसके घर आ जाय, उसके यहां नारायण, शिव और ब्रह्मा का प्रवेश होता है, उसे संपत्ति, महान सुयश, पग-पग पर सुख, सम्मान और गौरव की प्राप्ति होती है। यदि स्वप्न में अकस्मात् गौ मिल जाय तो भूमि और पतिव्रता स्त्री प्राप्त होती है। स्वप्न में जिस पुरूष को हाथी सूंड से उठाकर अपने माथे पर बिठा ले, उसे निश्चय ही राज्य-लाभ होगा। स्वप्न में संतुष्ट ब्राह्मण जिसे हृदय से लगाये और फल हाथ में दे, वह निश्चय ही सम्पत्तिशाली, विजयी, यशस्वी और सुखी होता है। साथ ही उसे तीर्थस्नान का पुण्य प्राप्त होता है।

स्वप्न में तीर्थ, अट्टालिका और रत्नमय गृह का दर्शन हो तो उससे भी पूर्वोक्त फल की ही प्राप्ति होती है। स्वप्न में यदि कोई भरा हुआ कलश दे तो पुत्र और सम्पत्ति का लाभ होता है। हाथ में तलवार लेकर स्वप्न में कोई वीरांगना जिसके घर आती है उसे निश्चय ही लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जिसके घर पत्नी के साथ ब्राह्मण आता है उसके यहां श्पार्वती सहित शिवश् अथवा श्लक्ष्मी के साथ नारायणश् का शुभागमन होता है। ब्राह्मण और ब्राह्मणी स्वप्न में जिसे धान्य, पुष्पान्जलि, मोती का हार, पुष्पमाला और चन्दन देते हैं तथा जिसे स्वप्न में गोरोचन, पताका, हल्दी, ईख और सिद्धान्न (पका हुआ अन्न) का लाभ होता है उसे सब ओर से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। ब्राह्मण और ब्राह्मणी स्वप्नावस्था में जिसके मस्तक पर छत्र लगाते अथवा श्वेत धान्य बिखेरते हैं या अमृत, दही और उत्तम पात्र अर्पित करते हैं अथवा जो स्वप्न में श्वेत माला और चन्दन से अलंकृत हो रथ पर बैठकर दही या खीर खाता है वह निश्चय ही राजा होता है। स्वप्न में रत्नमय आभूषणों से विभूषित आठ वर्ष की कुमारी कन्या जिस पर संतुष्ट हो जाती है और जिस पुण्यात्मा को पुस्तक देती है वह विश्वविख्यात कवीश्वर एवं पण्डितराज होता है। जिसे स्वप्न में माता की भांति वह पढ़ाती है, वह सरस्वती-पुत्र होता है और अपने समय का सबसे बड़ा पण्डित माना जाता है। यदि विद्वान ब्राह्मण किसी को पिता की भांति यत्नपूर्वक पढ़ावे या प्रसन्नतापूर्वक पुस्तक दे तो वह भी उसी के समान विद्वान होता है। जो स्वप्न में मार्ग पर या जहां कहीं भी पड़ी हुई पुस्तक पाता है वह भूतल पर विख्यात एवं यशस्वी पण्डित होता है। जिसे ब्राह्मण-ब्राह्मणी स्वप्न में महामन्त्र दें वह पुरूष विद्वान, धनवान और गुणवान होता है। ब्राह्मण स्वप्न में जिसे मन्त्र अथवा शिलामयी प्रतिमा देता है, उसे मन्त्र सिद्धि प्राप्त होती है। यदि स्वप्न में ब्राह्मण समूह का दर्शन एवं वन्दन करके आशीर्वाद पाता है तो वह राजाधिराज अथवा महान कवि एवं पण्डित होता है। स्वप्न में ब्राह्मण जिसे संतुष्ट होकर श्वेत धान्ययुक्त भूमि देता है, वह राजा होता है। ब्राह्मण जिसे स्वप्न में रथ या सवारी पर बिठाकर नाना प्रकार के स्वर्ग दिखाता है, वह चिरंजीवी होता है तथा उसकी आयु एवं सम्पत्ति की निश्चय ही वृद्धि होती है।

सपने में संतुष्ट ब्राह्मण जिस ब्राह्मण को अपनी कन्या देता है, वह सदा धनाढ्य राजा होता है। स्वप्न में सरोवर, समुद्र, नदी, नद, श्वेत सर्प और श्वेत पर्वत का दर्शन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। जो स्वप्न में अपने को मरा हुआ देखता है, वह चिरंजीवी होता है। रोगी देखने पर निरोग होता है और सुखी देखने पर निश्चय ही दुःखी होता है। दिव्य नारी जिससे स्वप्न में कहती है कि आप मेरे स्वामी हैं और वह उस स्वप्न को देखकर तत्काल जाग उठता है तो अवश्य राजा होता है। स्वप्न में कालिका देवी का दर्शन करके और स्फटिक की माला, इन्द्र-धनुष एवं बज्र को पाकर मनुष्य अवश्य ही प्रतिष्ठा का भागी होता है। स्वप्न में ब्राह्मण जिससे कहे कि तुम मेरे दास हो जाओ, वह मेरी दास्य भक्ति पाकर वैष्णव हो जाता है। स्वप्नावस्था में ब्राह्मण शिव और विष्णु का स्वरूप है। ब्राह्मणी लक्ष्मी एवं पार्वती का प्रतीक है तथा श्वेतवर्णा स्त्री, वेदमाता सावित्री, गंगा एवं सरस्वती का स्वरूप है। ग्वालिक का वेष धारण करने वाली बालिका मेरी राधिका है और बालक-बाल-गोपाल का स्वरूप है।

स्वप्न विज्ञान को जानने वाले विद्वानों ने इस रहस्य को प्रकाशित किया है। पिताजी ! यह मैंने पुण्यदायक उत्तम शुभ स्वप्नों का वर्णन किया है।तदन्तर शुभ स्वप्नों के विषय में कहकर नन्द बाबा के पूछने पर भगवान् कहने लगे, अब मैं आपको दुःस्वप्न के बारे में बताता हूँ! श्रीभगवान् बोले-नन्दजी! जो स्वप्न में हर्षातिरेक से अट्ठहास करता है अथवा यदि स्वयं का विवाह और मनोनुकूल नाच-गाना देखता है तो उसके लिये विपत्ति निश्चित है। स्वप्न में जिसके दांत तोड़े जाते हैं और वह उन्हें गिरते हु, देखता है तो उसके धनकी हानि होती है और उसे शारीरिक कष्ट भोगना पड़ता है। जो तेल से स्नान करके गदहे, ऊँट और भैंसे पर सवार हो दक्षिण दिशा की ओर जाता है निःसन्देह उसकी मृत्यु हो जाती है। यदि स्वप्न में कान में लगे हुए अड़हुल, अशोक और करवीर के पुष्प को तथा तेल और नमक को देखता है तो उसे विपत्ति का सामना करना पड़ता है। नंगी, काली, नक-कटी, शूद्र-विधवा तथा जटा और ताड़ के फल को देखकर मनुष्य शोक को प्राप्त होता है। स्वप्न में कुपित हुए ब्राह्मण तथा क्रुद्ध हुई ब्राह्मणी को देखने वाले मनुष्य पर निश्चय ही विपत्ति आती है और लक्ष्मी उसके घर से चली जाती है। जंगली पुष्प, लाल फल, भली-भांति पुष्पों से लदा पलाश, कपास और सफेद वस्त्र को देखकर मनुष्य दुख का भागी होता है। काला वस्त्र धारण करने वाली काले रंग की विधवा स्त्री को हंसती और गाती हुई देखकर मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जाता है।

जिसे स्वप्न में देवगण नाचते, गाते, हंसते, ताल ठोंकते और दौड़ते हुए दिखाई पड़ते हैं, उसका शरीर रोग व मृत्यु का शिकार हो जाएगा। जो स्वप्न में काले पुष्पों की माला और कृष्णाराग से सुशोभित एवं काला वस्त्र धारण करने वाली स्त्री का आलिंगन करता है उसकी मृत्यु हो जायेगी। जो स्वप्न में मृग का मरा हुआ बिछौना, मनुष्य का मस्तक और हड्डियों की माला पाता है, उसके लिये विपत्ति निश्चित है। जो ऐसे रथ पर, जिसमें गदे और ऊंट जुते हुए हों, अकेले सवार होता है और उस पर बैठकर फिर जागता है तो निःसंदेह वह मौत का ग्रास बन जाता है। जो अपने को हवि, दूध, मधु, मट्ठा और गुड़ से सराबोर देखता है, वह निश्चय ही पीड़ित होता है। जो स्वप्न में लाल पुष्पों की माला एवं लाल अगराग से युक्त तथा लाल वस्त्र धारण करने वाली स्त्री का आलिंगन करता है, वह रोगग्रस्त हो जाता है यह निश्चित है। गिरे हुए नख और केश, बुझा हुआ अंगार और भस्मपूर्ण चिंता को देखकर मनुष्य अवश्य ही रोग व मुत्यु का शिकार बन जाता है। श्मशान काष्ठ, सूखा घास-फूस, लोहा, काली स्याही और कुछ-कुछ काले रंग वाले घोड़े को देखने से अवश्यमेव दुःख की प्राप्ति होती है। पादुका, ललाट की हड्डी, लाल पुष्पों की भयावनी माला, उड़द, मसूर और मूंग देखने से तुरन्त शरीर में घाव या फोड़ा हो जाता है।

स्वप्न में सेना, गिरगिट, कौआ, भालू, वानर, नीलगाय, पीब और शरीर के मल का देखा जाना केवल व्याधि का कारण होता है। स्वप्न में फूटा बर्तन, घाव, जमादार, गलत्कुष्ठी, रोगी, लाल वस्त्र, जटाधारी, सूअर, भैंसा, गदहा, महाघोर अन्धकार, मरा हुआ भयंकर जीव और योनि-चिन्ह देखकर मनुष्य निश्चय ही विपत्ति में फंस जाता है। कुवेषधारी म्लेच्छ और पाश ही जिसका शस्त्र है, ऐसे पाशधारी भयंकर यमदूत को देखकर मनुष्य मृत्यु को प्राप्त हो जाता है। ब्राह्मण, ब्राह्मणी, छोटी कन्या और बालक-पुत्र क्रोधवश विलाप करते हों तो उन्हें देखकर दुःख की प्राप्ति होती है। काला फूल, काले फूलों की माला, शास्त्रास्त्रधारी सेना और विकृत आकार वाली म्लेच्छवर्ण की स्त्री को देखने से निःसंदेह मृत्यु गले लग जाती है। बाजा, नाच, गाना, गवैया, लाल वस्त्र, बजाया जाता हुआ मृदंग-इन्हें देखकर अवश्यमेव दुःख मिलता है । प्राणरहित (मुर्दे) को देखकर निश्चय ही रोग या मृत्यु होती है और जो मत्स्य आदि को धारण करता है, उसके भाई का मरण ध्रुव है। घायल अथवा बिना सिर का धड़ अथवा मुण्डित सिर वाले एवं शीघ्रतापूर्वक नाचते हुए बेडौल प्राणी को देखकर मनुष्य मौत या क्लेश का भागी हो जाता है। मरा हुआ पुरूष अथवा मरी हुई काले रंग की भयानक म्लेच्छ नारी जिसका स्वप्न में आलिंगन करती है, उसका मर जाना निश्चित है। स्वप्न में जिनके दांत टूट जायें और बाल गिर रहे हों तो उसके धन की हानि होती है अथवा वह शारीरिक पीड़ा से दुःखी होता है। स्वप्न में जिसके ऊपर सींगधारी अथवा बड़े दांत वाले जीव तथा बालक और मनुष्य टूट पड़ते हों, उसे राजा या सरकार की ओर से भय प्राप्त होता है। गिरता हुआ कटा वृक्ष, शिलावृष्टि, भूसी, छूरा, लाल अंगारा और राख की वर्षा देखने से दुःख की प्राप्ति होती है। गिरते हुए ग्रह अथवा पर्वत, भयानक धूमकेतु अथवा टूटे हु, कंधे वाले मनुष्य को देखकर स्वप्नद्रष्टा दुःख का भागी होता है। जो स्वप्न में रथ, घर, पर्वत, वृक्ष, गौ, हाथी और घोड़ा आकाश से भू-तल पर गिरता देखता है, उसके लिये विपत्ति निश्चित है। जो भस्म और अंगारयुक्त गड्ढों में क्षारकुण्डों में तथा धूलि की रशि पर ऊंचाई से गिरते है, निःसंदेह उनकी मृत्यु होती है। जिसके मस्तक पर से कोई दुष्ट बलपूर्वक छत्र खींच लेता है, उसके पिता, गुरू अथवा राजा का नाश हो जाता है।

जिसके घर से भयभीत हुई गौ बछड़े सहित चली जाती है, उस पापी की लक्ष्मी और पृथ्वी भी नष्ट हो जाती है। म्लेच्छ यमदूत जिसे पाश से बांधकर ले जाते हैं, उसकी मृत्यु निश्चित है। जिसे ज्योतिषी, ब्राह्मण, ब्राह्मणी तथा गुरू रूष्ट होकर श्राप देते हैं, उसे निश्चय ही विपत्ति भोगनी पड़ती है। जिसके शरीर पर शत्रुदल, कौए, मुर्गे और रीछ आकर टूट पड़ते हैं, उसकी अवश्य मृत्यु हो जाती है और स्वप्न में जिसके ऊपर भैंसे, भालू, ऊंट, सूअर और गदहे क्रुद्ध होकर धावा करते है, वह निश्चय ही रोगी हो जाता है। जो लाल चन्दन की लकड़ी को घी में डुबोकर एक सहस्त्र गायत्री-मन्त्र द्वारा अग्नि में हवन करता है, उसका दुःस्वप्नजनित दोष शान्त हो जाता है। जो भक्तिपूर्वक इन मधुसूदन का एक हजार जप करता है वह निश्पाप हो जाता है और उसका दुःस्वप्न भी सुखदायक हो जाता है। जो विद्वान पवित्र होकर पूर्व की ओर मुख करके अच्युत, केशव, विष्णु, हरि, सत्य, जनार्दन, हंस, नारायण-इन आठ शुभ नामों का दस बार जाप करता है, और अन्नदान करता है उसका पाप नष्ट हो जाता है तथा दुःस्वप्न भी शुभकारक हो जाता है। जो भक्त भक्तिपूर्वक विष्णु, नारायण, कृष्ण, माधव, मधुसूदन, हरि, नरहरि, राम, जपता है, वह सौ बार जप करके नीरोग हो जाता है।

यह भी पढ़ेंः-तीर्थ सेवन महिमा

जो एक लाख जप करता है वह निश्चय ही बन्धन से मुक्त हो जाता है। दस लाख जप करके महावन्ध्या पुत्र को जन्म देती है। शुद्ध एवं हविष्य का भोजन करके जपने वाला दरिद्र इनके जप से धनी हो जाता है। एक करोड़ जप करके मनुष्य जीवमुक्त हो जाता है। नारायण क्षेत्र या पवित्र नदी के किनारे शुद्धतापूर्वक जाप करने वाले मनुष्य को सारी सिद्धियां सुलभ हो जाती हैं। जो जल में स्नान करके ऊं नमः के साथ शिव, दुर्गा, गणपति, कार्तिकेय, दिनेश्वर, धर्म, गंगा, तुलसी, राधा, लक्ष्मी, सरस्वती-इन मंगल-नामों का जप करता है तथा अन्न व वस्त्र का दान करता है, उसका मनोरथ सिद्ध हो जाता है और दुःस्वप्न भी शुभदायक हो जाता है। जो मनुष्य ऊं नमो मृत्युन्जयाय स्वाहा-इस मन्त्र का एक लाख जप करता है, वह स्वप्न में मरण को देखकर भी सौ वर्ष की आयु वाला हो जाता है। पूर्वोत्तर मुख होकर किसी विद्वान् से ही अपने स्वप्न को कहना चाहिये किन्तु जो शराबी, दुर्गति प्राप्त, नीच, देवता और ब्राह्मण की निन्दा करने वाला मूर्ख और स्वप्न के शुभाशुभ फल काद्ध अनभिज्ञ हो, उसके सामने स्वप्न को नही प्रकट करना चाहिये। पीपल का वृक्ष, ज्योतिषी, ब्राह्मण, पितृस्थान, देवस्थान, वैष्णव और मित्र के सामने दिन में देखा हुआ स्वप्न प्रकाशित करना चाहिये। रात्रि को नही कहना चाहिये इस प्रकार मैंने आपसे इस पवित्र प्रसंग का वर्णन कर दिया, यह पापनाशक, धन की वृद्धि करने वाला, यशोवर्धक और आयु बढ़ाने वाला है।

लोकेंद्र चतुर्वेदी ज्योतिर्विद