Lok Sabha elections, Mirzapur : 2014 और 2019 में मिर्ज़ापुर संसदीय सीट से एनडीए गठबंधन की अपना दल (एस) की उम्मीदवार अनुप्रिया पटेल सांसद चुनी गईं। अब लगातार तीसरी बार अनुप्रिया की दावेदारी से देशभर के लोगों की निगाहें इस सीट पर हैं। अपना दल (एस) जहां हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रही है, वहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन कर रही समाजवादी पार्टी के सामने अपना खाता खोलने की चुनौती है।
दो बार लगातार हुई जीत
सपा ने बीजेपी के भदोही सांसद रमेश बिंद और बसपा ने मनीष त्रिपाठी को अपना उम्मीदवार बनाया है, दोनों को पार्टी के पारंपरिक वोटों के साथ-साथ अपनी जाति और समुदाय के वोटों का भी भरोसा है। अपनादल कमेरावादी ने भी दौलत सिंह पटेल को मैदान में उतारा है। वहीं अनुप्रिया पटेल को अपने काम और सरकार की विकास योजनाओं पर भरोसा है। अपना दल की अनुप्रिया पटेल दो बार मिर्ज़ापुर सीट से जीत चुकी हैं। यह तीसरी बार है जब वह तीसरी जीत की दहलीज पर खड़ी है। 2014 की मोदी लहर में अपना दल (एस) ने पहली बार जीत हासिल की थी। उन्होंने बसपा के समुद्र बिंद को हराया था। 2019 में उन्होंने सपा के राम चरित्र विंद को हराकर जीत हासिल की। एसपी-बीएसपी को जाति-बिरादरी के वोटों पर भरोसा है तो अनुप्रिया को अपने काम से जीत की उम्मीद है।
तीन बार विधायक और सांसद रह चुके हैं रमेश बिंद
इंडी गठबंधन ने मीरजापुर लोकसभा सीट से भदोही से बीजेपी सांसद रमेश बिंद पर दांव लगाया है। सिटी ब्लॉक के इटवां गांव निवासी डॉ. रमेश बिंद ने 2002 में जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक पारी शुरू की। उसके बाद से उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2002, 2007 से 2012-17 तक वह लगातार तीन बार जिले की मझवा विधानसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी के विधायक रहे। राजनीति के माहिर खिलाड़ी रमेश वर्ष 2019 में भाजपा में शामिल हुए और पड़ोसी जिले भदोही लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतकर सांसद बने।
बीजेपी से टिकट नहीं मिलने के बाद उन्होंने मिर्ज़ापुर लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन (सपा) से टिकट पाने की कोशिश की। सियासी शतरंज की बिसात पर उन्होंने शतरंज की ऐसी बाजी खेली कि वह सपा से टिकट पाने में सफल रहे।
बसपा ने स्थानीय पर जताया भरोसा
बहुजन समाज पार्टी ने हलिया ब्लाक के ड्रमंडगंज के दर्जुनपुर गांव निवासी मनीष त्रिपाठी को मीरजापुर संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है। मनीष ने अपनी स्नातक की पढ़ाई कानपुर यूनिवर्सिटी से पूरी की है। वह एक किसान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। 2005 से बसपा से जुड़े हैं। जिला कोषाध्यक्ष, जिला उपाध्यक्ष, ब्राह्मण भाईचारा मंडल संयोजक आदि पदों पर रहे। लंबे समय बाद किसी बड़ी पार्टी ने किसी स्थानीय को उम्मीदवार बनाया है।
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