कैथलः आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष अनुराग ढांडा (Anurag Dhanda) ने कहा है कि कांग्रेस विधायकों और नेताओं में आपसी फूट के कारण कुरुक्षेत्र लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुशील गुप्ता को हार का सामना करना पड़ा। कैथल में सुरजेवाला की गद्दारी के कारण सुशील गुप्ता 17 हजार वोटों से हारे। वे शुक्रवार को यहां पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। रणदीप सुरजेवाला कैथल में कांग्रेस के इतने बड़े और राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं और कहा जाता है कि कैथल में उनकी तूती बोलती है।
बीजेपी विरोधी लहर में हारना चिंताजनक
यह तो समझ में आता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में वे कठिन परिस्थितियों में 500, 700 वोटों से हारे थे। लेकिन यह समझ में नहीं आता कि भाजपा विरोधी लहर के बावजूद कैथल प्रचार का प्रतिनिधित्व करने वाले रणदीप सुरजेवाला के क्षेत्र में गठबंधन 17 हजार वोटों से कैसे पिछड़ गया। सुरजेवाला अपना बूथ भी नहीं बचा पाए। वहीं, अशोक अरोड़ा पिछले विधानसभा चुनाव में थानेसर में 500 वोटों से हारे थे। अगर उनके क्षेत्र में गठबंधन 18 हजार वोटों से हारता है तो यह सब संयोग नहीं हो सकता।
आगामी चुनाव में बिना गठबंधन के होगी लड़ाई
रादौर और लाडवा में कांग्रेस के विधायक हैं। यह अजीब संयोग है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक और प्रभावशाली नेता थे, वहां गठबंधन हार गया। गुहला चीका, कलायत, पेहवा और शाहाबाद में जहां कांग्रेस के नेता नहीं थे, वहां आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। उन्होंने कहा कि हम प्रदेश के कार्यकर्ताओं को बुलाकर कुरुक्षेत्र सीट पर जो षडयंत्र रचे गए, उसकी समीक्षा करेंगे। उन्होंने कहा कि इसे समझने के दो तरीके हो सकते हैं। या तो हम यह मान लें कि रणदीप सुरजेवाला और अशोक अरोड़ा का कोई राजनीतिक अस्तित्व नहीं है और जनता ने उन्हें पूरी तरह से नकार दिया है।
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अगर उनके नाम पर वोट डाले गए हैं तो हमें इस बात का जवाब ढूंढना होगा कि वे 17000 वोटों से कैसे हार गए। हमारे कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के साथ मिलकर सभी सीटों पर मेहनत की, जिसके कारण कांग्रेस ने 5 सीटें जीतीं। कांग्रेस कार्यकर्ता भी इस बात से निराश हैं कि जिस तरह से यह तोड़फोड़ हुई, उसका खामियाजा उन्हें कहीं न कहीं भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी कांग्रेस से गठबंधन किए बिना 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और प्रदेश में अपनी सरकार बनाएगी।
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