नई दिल्ली: वायुसेना ने शुक्रवार को राजस्थान के पोकरण फायरिंग रेंज में दुश्मन के टैंक उड़ाने में सबसे कारगर मानी जाने वाली स्वदेशी मिसाइल हेलिना के उन्नत वर्जन ध्रुवास्त्र का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल दुनिया के किसी भी टैंक को ध्वस्त करने में माहिर है। हेलीकॉप्टर ध्रुव से दागी गई मिसाइल ने अपने लक्ष्य पर एकदम सटीक निशाना लगाकर उसे नष्ट कर दिया। तीन दिन से पोकरण में एयर फोर्स और डीआरडीओ की टीम इसके परीक्षण की तैयारियों में जुटी थी।
विकास परीक्षण पूरे होने के बाद वायुसेना का ध्रुवास्त्र हेलीना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल का यह उपयोगकर्ता परीक्षण था। राजस्थान क्षेत्र में एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर से 4 हेलिना एटीजीएम को लॉन्च किया गया। इस मिसाइल की रेंज 4 से 8 किलोमीटर है। आज परीक्षण के जरिये हेलिना मिसाइल की 7 किमी. की न्यूनतम और अधिकतम सीमा में क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया। हेलीकॉप्टर से लॉन्च की गई नाग मिसाइल की रेंज बढ़ाकर इसे ध्रुवास्त्र हेलीना मिसाइल का नाम दिया गया है। इसे एचएएल के रुद्र और लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टरों पर ट्विन-ट्यूब स्टब विंग-माउंटेड लॉन्चर से लॉन्च किया जा चुका है। इसकी संरचना नाग मिसाइल से अलग है। नाग पीढ़ी की इस मिसाइल को हेलीकॉप्टर से दागे जाने के कारण इसे हेलिना नाम दिया गया।
डीआरडीओ के वैज्ञानिकों का दावा है कि यह मिसाइल सभी तरह के मौसम और चाहे दिन हो या रात अपने लक्ष्य पर एकदम सटीक हमला करने में सक्षम है। मिसाइल का लॉक ऑन चेक करने के लिए 2011 में पहली बार एक लक्ष्य पर लॉक करके लॉन्च किया गया। उड़ान के दौरान हिट करने के लिए दूसरा लक्ष्य दिया गया जिसे मिसाइल ने नष्ट कर दिया। इस तरह मिसाइल ने उड़ान में रहते हुए अचानक बदले गए लक्ष्य को मारने की क्षमता का प्रदर्शन किया। 13 जुलाई, 2015 को एचएएल ने तीन परीक्षण जैसलमेर, राजस्थान की चांधन फायरिंग रेंज में रुद्र हेलीकॉप्टर से किये। मिसाइलों ने 7 किलोमीटर की दूरी पर दो लक्ष्य मार गिराने में कामयाबी हासिल की, जबकि एक का निशाना चूक गया। ध्रुवास्त्र हेलीना मिसाइल का एक और परीक्षण 19 अगस्त, 2018 को पोखरण परीक्षण रेंज में एचएएल एलसीएच से सफलतापूर्वक किया गया। इसके बाद नवम्बर, 2018 में हेलिना के उन्नत संस्करण का सफल परीक्षण पोकरण में किया गया। मिसाइल का उन्नत संस्करण 15-20 किमी तक मार करने में सक्षम है।
डीआरडीओ और भारतीय सेना ने अधिकतम मिसाइल रेंज और सटीकता की जांच करने के लिए 8 फरवरी, 2019 को ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से 7-8 किमी की दूरी के साथ हेलिना का परीक्षण किया। ग्राउंड आधारित लॉन्चर से बालासोर (ओडिशा) में 15 से 16 जुलाई, 2020 तक तीन विकासात्मक उड़ान परीक्षण किए गए हैं। अब यह मिसाइल सीधे और शीर्ष हमले के मोड में है, जो नई सुविधाओं के साथ उन्नत है। सभी विकास परीक्षण पूरे होने के बाद अब ध्रुवास्त्र हेलीना एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल के उपयोगकर्ता परीक्षण शुरू किये गए हैं। परीक्षण पूरे होने के बाद इस मिसाइल का उपयोग सेना और वायुसेना द्वारा किया जाना है, इसलिए दोनों सेनाओं ने संयुक्त रूप से आज राजस्थान क्षेत्र में एएलएच ध्रुव हेलीकॉप्टर से 4 मिसाइलें दागीं। आज के परीक्षण में मिसाइल की 7 किमी. की न्यूनतम और अधिकतम सीमा में क्षमताओं का मूल्यांकन किया गया।
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ध्रुवास्त्र नामक हेलिना हथियार प्रणाली के एक संस्करण को भारतीय वायुसेना (आईएएफ) में शामिल किया जाना है जबकि हेलिना हथियार प्रणाली भारतीय सेना में शामिल होनी है। इसे ध्रुव हेलिकॉप्टर के साथ ही हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर से भी दागा जा सकता है। रणक्षेत्र में आगे बढ़ते दुश्मन के टैंकों को बारी-बारी से यह मिसाइल ध्वस्त करने में पूर्णतया सक्षम है। यह मिसाइल दुनिया के किसी भी टैंक को उड़ा सकती है।
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