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कोरोना के बाद बच्चों के बीच वायरल बुखार ने बढ़ाई सरकार की चिंता

Number of patients of viral fever increased in Bihar, children suffer more.

पटना: कोरोना की दूसरी लहर अभी पूरी तरह समाप्त भी नहीं हुई है कि बिहार के कई जिलों में बच्चों में हो रहे वायरल बुखार ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। वायरल बुखार के बढ़ते मामलों को लेकर राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है। बुखार के बढ़ रहे मामलों को देखते हुए कई स्कूलों में पांचवी क्लास तक की परीक्षा ऑफलाइन के बजाय फिर ऑनलाइन हो रही हैं।

पटना, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर सहित कई जिलों में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या अधिक है। पटना के अधिकांश अस्पतालों में शिशु वार्ड के बेड भरे पड़े हैं। इधर, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने गुरुवार को कहा, बच्चों में वायरल बुखार के मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह सतर्क एवं सचेत है। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज सह अस्पतालों, जिला अस्पतालों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों का प्राथमिकता के आधार पर इलाज करने के निर्देश दिये गये हैं।

उन्होंने आगे कहा, बुखार को लेकर विभागीय स्तर पर मेडिकल टीमों का गठन हुआ है जिसमें एकत्रित रोग निगरानी परियोजना (आइडीएसपी) के विशेषज्ञ इस टीम में शामिल हैं। एक टीम मुजफ्फरपुर, दूसरी गोपालगंज और तीसरी टीम सीवान भेजा गया है। यह टीम इलाजरत बच्चों की स्थिति की सही जानकारी स्वास्थ्य विभाग को सौंपेगी। इधर, पटना स्थित अखिल भरतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कम्युनिटी मेडिसिन के प्रमुख और ट्रामा के एचओडी डॉ. अनिल कुमार बताते हैं कि वायरल पहले भी होता था आज भी हो रहा है। बस अंतर यही है कि महामारी के दौरान समान लक्षण वाले बुखार ने दहशत बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि संक्रमण के फैलने का तरीका समान है।

कुमार ने बताया कि वायरल के लक्षण कोरोना की तरह ही हैं। इसमें सर्दी, बुखार, खांसी, पूरे शरीर में दर्द, गंध नहीं मिलना शामिल है। अगर किसी व्यक्ति या बच्चे को कोविड जैसे लक्षण मिल रहे हैं, तो लोग उसे वायरल फीवर नहीं समझ पा रहे हैं। हर पीड़ित और उसके परिवार वालों को आशंका के बीच दहशत यही रहती है कि कहीं कोविड तो नहीं हो गया।

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पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) के अधीक्षक डॉ. आइ एस ठाकुर कहते हैं कि सितंबर-अक्तूबर में हर वर्ष वायरल फीवर फैलता है। हमारे यहां अभी आम दिनों की अपेक्षा करीब 30 प्रतिशत ज्यादा बच्चे आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये सर्दी, खांसी से पीड़ित हैं। इनमें पांच प्रतिशत में निमोनिया होता है।

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