नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा कि मुझे न तो पद का लालच है और न ही धन का। मेरे अंदर सिर्फ देश के लिए कुछ करने का जुनून है। केजरीवाल रविवार को पार्टी मुख्यालय में कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। केजरीवाल ने कहा कि वह आयकर विभाग में कमिश्नर के पद पर काम करते थे। उन्होंने 2000 में नौकरी छोड़ दी और 2010 तक उन्होंने अपना समय दिल्ली की झुग्गियों में बिताया। यहां तक कि वह कुछ दिनों के लिए नंद नगरी और सुंदर नगरी की झुग्गियों में भी रहे।
आज के समय में कोई चपरासी की नौकरी नहीं छोड़ता मैंने सीएम पद छोड़ दियाः केजरीवाल
उन्होंने कहा कि उन्होंने गली-गली घूमकर देखा कि एक गरीब आदमी कैसे रहता है? वह अपना घर कैसे चलाता है? अगर पैसा कमाना होता तो आयकर कमिश्नर की नौकरी बुरी नहीं थी। जब मैंने नौकरी छोड़ी तो कोई पार्टी नहीं थी और मैं मुख्यमंत्री बनने की कोशिश नहीं कर रहा था। मेरा कोई भविष्य नहीं था, मेरे अंदर सिर्फ देश के लिए जुनून था कि मुझे देश के लिए कुछ करना है। मैंने अपने हक के लिए महज 49 दिनों के अंदर इस्तीफा दे दिया। मुझसे किसी ने इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा। आज के समय में कोई भी चपरासी की नौकरी नहीं छोड़ता, मैंने खुद ही मुख्यमंत्री का पद छोड़ा। मुझे न तो पद का लालच है और न ही धन का। मेरे अंदर सिर्फ देश के लिए कुछ करने का जुनून है।
अभी दस साल चलेगा मुकदमा
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने मुझ पर और मनीष सिसोदिया पर आरोप लगाए हैं। उन्होंने हम पर देश की सबसे कड़ी पीएमएलए के तहत कई आरोप लगाए हैं। इसमें जमानत नहीं मिलती। इसके बाद भी हमें कोर्ट से जमानत मिल गई। कोर्ट हमारे पक्ष में इससे ज्यादा कुछ नहीं कर सकता था। हम कोर्ट के बहुत आभारी हैं। वकीलों ने बताया कि यह केस कम से कम 10 साल तक चलेगा। आज मैं जनता की अदालत में आया हूं।
मैं जनता की अदालत में आया हूं
मैं जनता से पूछने आया हूं कि आप केजरीवाल को ईमानदार मानते हैं या अपराधी। मैं दिल्ली और देश की जनता से पूछना चाहता हूं कि केजरीवाल ईमानदार हैं या अपराधी। केजरीवाल ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि आज से दो दिन बाद मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं और जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती, मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। मैं गली-गली, घर-घर जनता के बीच जाऊंगा। मैं तब तक कुर्सी पर नहीं बैठूंगा जब तक जनता यह फैसला नहीं दे देती कि केजरीवाल ईमानदार हैं।
उन्होंने लोगों से अपील की है कि अगर केजरीवाल ईमानदार हैं तो मेरे पक्ष में वोट करें। अगर आपको लगता है कि केजरीवाल अपराधी हैं तो मुझे वोट न दें। दिल्ली की जनता का हर वोट मेरी ईमानदारी का सर्टिफिकेट होगा।
हमारे लिए शर्तें मायने नहीं रखतीं, बल्कि मेरी ईमानदारी मायने रखती है: केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के लिए कुछ शर्तें लगा दी हैं जिससे हम काम नहीं कर पाएंगे। पिछले 10 सालों में क्या इन लोगों ने शर्तें लगाने में कोई कसर छोड़ी? एलजी ने शर्तें लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। केंद्र सरकार ने कानून पर कानून लाकर मेरी ताकत छीन ली, लेकिन मैंने दिल्ली का काम नहीं रुकने दिया। ये शर्तें हमारे लिए कोई बाधा नहीं हैं।
मेरा और मनीष सिसोदिया का फैसला अब दिल्ली की जनता के हाथ में –
आगे केजरीवाल ने कहा कि फरवरी में चुनाव हैं। आज इस मंच से मैं मांग करता हूं कि दिल्ली के चुनाव महाराष्ट्र के साथ नवंबर में हों। जब तक चुनाव नहीं हो जाते, तब तक मेरी पार्टी से कोई और मुख्यमंत्री बनेगा। अगले दो-तीन दिन में विधायक दल की बैठक होगी और उसमें नए मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो दर्द मेरे दिल में है, वही मनीष सिसोदिया के मन में भी है।
उनके लिए भी वही बातें कही गईं, जो मेरे लिए कही गईं। मनीष सिसोदिया का यह भी कहना है कि वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का पद तभी संभालेंगे, जब दिल्ली की जनता कहेगी कि मनीष सिसोदिया ईमानदार हैं। मेरा और मनीष सिसोदिया का फैसला दिल्ली की जनता के हाथ में है। हम दोनों जनता की अदालत में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2020 में मैंने कहा था कि अगर मैंने काम किया है तो मुझे वोट दें और अगर मैंने काम नहीं किया है तो मुझे वोट न दें।
जेल अंदर पढ़ी कई किताबे
इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जेल में उन्हें सोचने और पढ़ने का काफी समय मिला। मैंने राजनीति, स्वतंत्रता आंदोलन, गीता, रामायण और महाभारत पर कई किताबें पढ़ीं। भगत सिंह की जेल डायरी कई बार पढ़ी। 90-95 साल पहले भगत सिंह ने जेल में लेख लिखे और जेल के बाहर कई क्रांतिकारी साथियों और युवाओं को पत्र लिखे। भगत सिंह ने युवाओं को पत्र लिखे थे, जिन्हें एक सम्मेलन में पढ़ा गया। भगत सिंह की शहादत के 95 साल बाद एक क्रांतिकारी मुख्यमंत्री जेल गए।
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एलजी को पत्र लिखने पर मिली चेतावनी
मैंने 15 अगस्त को जेल से एलजी को एक ही पत्र लिखा। यह देश का स्वतंत्रता दिवस था। देश के स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार की तरफ से झंडा फहराते हैं। मैंने 15 अगस्त से तीन दिन पहले एलजी साहब को पत्र लिखा और कहा कि चूंकि मैं जेल में हूं, इसलिए मेरी जगह आतिशी को झंडा फहराने दिया जाए। मेरा वह पत्र एलजी को नहीं दिया गया। पत्र मुझे वापस कर दिया गया और चेतावनी दी गई कि अगर आपने दूसरी बार एलजी को पत्र लिखने की हिम्मत की, तो आपकी पारिवारिक मुलाकातें बंद कर दी जाएंगी।
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