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आखिर क्यों पड़ते हैं मिर्गी के दौरे, जानें इसके लक्षण और उपचार

epilepsy

नई दिल्लीः मिर्गी एक न्यूरोलाॅजिकल डिसऑर्डर है जो किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है। इसलिए इससे जुड़ी सारी जानकारी रखनी चाहिए। हर साल 10 मिलियन यानी एक करोड़ लोग एपिलेप्सी यानी मिर्गी से प्रभावित हो जाते हैं। पर समाज में इसको लेकर फैली भ्रांति के कारण इसे न सिर्फ परिवार बल्कि खुद मरीज भी छिपा कर रखता है। दुनिया भर में तमाम गायक, खिलाड़ी और यहां तक कि वैज्ञानिक हुए हैं जो इस स्थिति के साथ जीकर भी दुनिया में अपना नाम कमा चुके हैं।

मिर्गी के लक्षण
बगैर किसी स्पष्ट कारण के अचानक पलक झपके, कई बार ऐसा होने पर सतर्क हो जाइये। इसे हल्के में न ले ये मिर्गी रोग भी हो सकता है। इसके अन्य लक्षणों में शरीर के भिन्न हिस्सों का हिलना, अचानक थोड़ी देर के लिए अंधेरा छा जाना, पलक झपकने लगना तथा व्यक्ति का थोड़ी देर तक भौचक्क रहना, जब वह किसी से किसी तरह का संवाद न कर पाए भी है। ऐसा होने पर घबराना नहीं चाहिए। बल्कि समय रहते उपचार शुरू करा देना चाहिए।

शरीर में दो तरह की होती है मिर्गी
मिर्गी एक गैर संक्रामक स्थिति है जिसमें दौरे पड़ते हैं। जिससे मानसिक और शारीरिक कामकाज प्रभावित होता है। इसे फोकल (या आंशिक) मिर्गी और जनरलाइज्ड यानी सामान्य मिर्गी की दो श्रेणी में बांटा जा सकता है। फोकल एपिलेप्सी में एपिलेप्टिक सीजर की शुरुआत मस्तिष्क के एक खास हिस्से से होती है और यह पूरे मस्तिष्क में फैल जाता है। जनरलाइज्ड यानी सामान्य मिर्गी की स्थिति में दौरे की शुरुआत कहां से हुई इसका कोई अकेला केंद्र बिन्दु नहीं होता है।

मिर्गी के क्या होते हैं संकेत
किसी व्यक्ति को जब दो या ज्यादा दफा बिना किसी उकसावे के दौरा पड़े तो कहा जा सकता है कि उसे मिर्गी है। हमें इसके लक्षण समझना चाहिए। यह शरीर के भिन्न हिस्से में जर्किंग आना है। ऐसे कई कारण हैं जिससे मिर्गी के दौरे की शुरुआत होती है। इनमें कम सोना, गंभीर मनोवैज्ञानिक दबाव, ज्यादा शराब का सेवन, मनोरंजन के लिए नशे का सेवन करना, सिर की चोट, दिमागी बुखार, ब्रेन कैंसर इत्यादि हैं। इस बीमारी के आनुवांशिक होने की सम्भावना बहुत ही कम है। नियमित ली जाने वाली कोई दवा छूट जाने, किसी और बीमारी के लिए लिखी गई दवा खाने तथा कुछ एंटीबायोटिक से भी मिर्गी के दौरे की शुरुआत हो सकती है। आम तौर पर दौरे का असर एक या दो मिनट से ज्यादा नहीं रहता है।

दवा कभी अचानक बंद नहीं करें
मिर्गी होने का पता उच्च गुणवत्ता वाले एमआरआई और वीडियो ईईजी से चल सकता है। ज्यादातर मरीजों में इलाज की अवधि 3 से 5 साल के बीच होती है। कुछ मामलों में मरीज न्यूरो-सिसटिसेरोसिस को सिर्फ एक साल में ठीक हो जाता है। कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जब मरीज को कई वर्षों तक (जीवन भर भी) इलाज जारी रखना होता है। जैसे जुवेनाइल मायोक्लोनिक एपिलेप्सी के मामले में। मिर्गी के सफल उपचार के लिए सबसे महत्वपूर्ण सावधानी समय पर दवा लेना है।

किसी को दौरा पड़े तो ऐसे करें मदद
किसी को मिर्गी का दौरा आये तो आप इस प्रकार से मदद कर सकते है। मरीज के आस-पास और रास्ते से सारी चीजें हटा दें ताकि उसे चोट न लग जाए। उसके सिर के नीचे एक तकिया रख दीजिए, अपने हाथ से मरीज के सर को पकड़ कर रखे इससे उसको चोट नहीं लगेगी। एक बार जब दौरा पूरा हो जाए तो मरीज को किसी भी एक करवट लेटे रहने दीजिए। बेहोशी की अवधि चेक करके लिख लीजिए। मरीज को भरोसा दे उसके पूरी तरह ठीक होने तक उसके साथ है। अगर दौरा पांच मिनट से ज्यादा चलता है या मरीज चोट लगने से जख्मी हो जाता है या बेहोश हो तो उसे निकट के अस्पताल पहुंचा दे।

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सिर्फ एक ही दवा से संभव है उपचार
मिर्गी के मरीजों के ज्यादातर मामलों में मिर्गी का उपचार किया जा सकता है। एक ही दवा से ज्यादातर लोगों में अच्छा-खासा सुधार देखा जा सकता है, (हालांकि कुछ लोगों को दूसरी दवा की आवश्यकता भी पड़ सकती है)। कुछ गंभीर मामले में जब दौरे पर दवा का असर न हो, सर्जरी एक विकल्प है। सच तो यह है कि अगर यह पता चल जाए कि दौरा मस्तिष्क में एक खास जगह से शुरू हो रहा है तो संभावना है कि इसका उपचार किया जा सके। वैसी स्थिति में मस्तिष्क के उस भाग को हटाया जा सकता है।

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