नई दिल्लीः हमारा देश कई विविधताओं को समेटे हुए है। यहां हर राज्य की अपनी सांस्कृतिक विशेषताएं हैं, तो प्रकृति ने भी देश को कई खूबसूरत सौगातें दी हैं। पहाड़, आकर्षक झरने तो वहीं रेगिस्तान भी भारत की शान हैं। वैसे तो देश में सैकड़ों वाटरफाॅल्स हैं, जहां की नैसर्गिक खूबसूरती को निहारने हर साल पर्यटक पहुंचते हैं। केरल का अथिराप्पिल्ली वाॅटरफाॅल, आंध्र प्रदेश का तालकोना वाॅटरफाॅल से लेकर गोवा का दूधसागर वाॅटरफाॅल देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी विख्यात हैं। लेकिन देश में ऐसे कई झरने भी हैं, जो लोगों की भीड़-भाड़ से दूर हैं। ऐसे कई स्थान हैं, जो आज भी सैलानियों की चहल-पहल से अनछुए हैं। यहां की खूबसूरती देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो सकता है। आइए जानें कुछ ऐसे वाॅटरफाॅल्स के बारे में -
चित्रकोट वाॅटरफाॅल, छत्तीसगढ़ -
छत्तीसगढ़ का चित्रकोट वाॅटरफाॅल अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। 90 फिट ऊंचाई से गिरने वाले इस झरने से करोड़ों हिंदुओं की आस्था भी जुड़ी हुई है। मान्यताओं के अनुसार, 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण व सीता मां ने यहां समय बिताया था। भगवान राम से जुड़े चिन्हों को संजोने व इन्हें विकसित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार टूरिज्म सर्किट बना रही है और इस खूबसूरत वाॅटरफाॅल को राम वनगमन पथ से जोड़ा है। चित्रकोट वाटरफाॅल को भारत का नियाग्रा वाटरफाॅल भी कहा जाता है।
एलिफेंट फाॅल्स, शिलांग -
भारत के स्काॅटलैंड कहे जाने वाले शिलांग में प्राकृतिक खूबसूरती कण-कण में भरी हुई है। यहां स्थित एलिफेंट फाॅल्स को देखना किसी भी पर्यटक के लिए एक हसीन ख्वाब के पूरा होने जैसा है। चारों तरफ हरियाली से घिरे एक झरने की नैसर्गिक खूबसूरती देखते ही बनती है। ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से कल-कल गिरता पानी पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। यहां आने वाले सैलानियों के लिए रेस्टोरेंट्स भी हैं, जहां वे स्वादिष्ट भोजन का स्वाद चख सकते हैं।
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थोसेघर वाटरफाॅल्स, महाराष्ट्र -
अगर आप भीड़-भाड़ से दूर कुछ दिन प्रकृति के बीच शांति व सुकून से बिताना चाहते हैं, तो महाराष्ट्र का थोसेघर फाॅल्स एक अच्छा विकल्प हो सकता है। मुंबई व पुणे के बीच स्थित यह जगह पूरी तरह हरियाली से घिरी हुई है। आप इस वाटरफाॅल से 15 से 500 मीटर की दूरी पर से ही पानी की कल-कल आवाज सुन सकते हैं। यहां ऊंचे चट्टानों पर से आप यहां का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं।
सिद्धनाथ की दरी, मीरजापुर -
उत्तर प्रदेश का मिरजापुर प्राकृतिक खूबसूरती को समेटे हुए है। यहां विध्यांचल धाम है, जहां हर साल श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, तो वहीं वाटरफाॅल्स भी हैं। यहां सिद्धनाथ की दरी जलप्रपात है, जो यहां पुरातत्व काल से है। कहा जाता है कि यहां बाबा सिद्धनाथ साधना करते थे और उन्हीं के नाम पर इस स्थान का नाम पड़ा।
लखनिया वाटरफाॅल्स, मीरजापुर -
लखनिया वाटरफाॅल भी मिरजापुर में है। यहां के मनोरम दृश्य इस स्थान को सैलानियों के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बनाते हैं। लगभग 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई से बहने वाला यह वाटरफाॅल सैलानियों को प्रकृति की खूबसूरती के साथ ही सुकून का अहसास भी कराता है। मानसून में यहां का नजारा किसी स्वर्ग से कम नहीं लगता।
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