Saturday, November 23, 2024
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Saphala Ekadashi 2024: साल की पहली एकादशी आज, जानें शुभ मुहूर्त और नियम

Saphala Ekadashi 2024: साल 2024 की पहली एकादशी आज यानी 7 जनवरी को है, पौष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते है। इस एकादशी का अपना अलग महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा की जाती है। धार्मिक मान्याताओं के अनुसार सफला एकादशी का व्रत करने से जीवन में सफलता मिलती है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा कहा जाता है कि एकादशी का व्रत करने से भाग्य के द्वार ​खुल जाते हैं।

सफला एकादशी तिथि

पंचांग के अनुसार पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 07 जनवरी 2024 को सुबह: 12 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी और दूसरे दिन यानी 8 जनवरी 2024 को प्रात: 12 बजकर 46 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में सफला एकादशी का व्रत 7 जनवरी 2024 को होगा। पूरे दिन एकादशी का प्रभाव रहेगा। इस दिन पूजा पाठ करना, दान करना और रात्रि में जागरण करने से शुभ फल प्राप्त होता है।

शुभ मुहूर्त

सफला एकादशी के दिन सुबह 08.33 मिनट से दोपहर 12.27 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। सफला एकादशी के दिन सूर्योदय से व्रत शुरू होकर अगले दिन सूर्योदय के बाद समाप्त होगा। इस दिन रात्रि जागरण करना चाहिए इससे सकारात्मकता आती है और शुभ फल मिलता है।

सफला एकादशी का महत्व

हर एकादशी व्रत का अपना एक अलग ही महत्व है, अगर हम सफला एकादशी की बात करें तो इसमें भगवान विष्णु की पूजा की जाती है ऐसा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। मान्याताओं के अनुसार जो भी व्यक्ति पूरी निष्ठा और सच्चे मन से विष्णु जी की पूजा करता है उसे मृत्यु के बाद वैकुंठ की प्राप्ति होती है। इसके अलावा कहा जाता है कि इस व्रत को करने से एक हजार अश्वमेघ यज्ञ करने के बराबर फल प्राप्त होता है। इससे जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते है और व्यक्ति का भाग्य खुल जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने सफला एकादशी को अपने ही समान बलशाली बताया है।

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सफला एकादशी व्रत करने का नियम

इस व्रत में गलती से भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। जो लोग एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें भी इस दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। पूरा दिन व्रत रखकर रात्रि जागरण करना चाहिए और श्रीहरि का स्मरण करना चाहिए। इसके अलावा आज के दिन सोने की मनाही होती है। इस फूल पत्तियों को तोड़न अशुभ माना जाता है। जो लोग इस व्रत को नहीं करते हैं उन्हें भी किसी भी प्रकार के तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रत का पारण हमेशा द्वादशी तिथि पर प्रातः पूजन और ब्राह्मणों को भोजन करवाने के बाद ही करें।

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