Saturday, November 16, 2024
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Aditya L-1 Launch: सूर्य मिशन पर आदित्य एल-1 की ऐतिहासिक उड़ान, जानें पूरी डिटेल्स

Aditya L1 Launch-isro
Aditya-L1 Mission Launch: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO ) ने अपना पहला सूर्य मिशन Aditya-L1 लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। ISRO ने सूर्य की स्टडी करने के लिए Aditya-L1 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्रीहरिकोटा से 11: 50 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। भारत के इस पहले सूर्य मिशन से ISRO सूर्य का अध्ययन करेगा। इस मिशन में 7 पेलोड हैं, जिनमें से 6 भारत में बने हैं। आदित्य एल1 करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा। यह मिशन भारत के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि यह सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला भारतीय मिशन है।

Aditya-L1 को सूर्य की कक्षा में पहुंचने में लगेंगे128 दिन 

इस मिशन को ISRO के सबसे भरोसेमंद PSLV रॉकेट के साथ लॉन्च किया गया है। ISRO द्वारा मिली जानकारी के मुताबिक, Aditya-L1 को सूर्य की कक्षा में पहुंचने में करीब 128 दिन का समय लगेगा। पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक प्रतिशत दूरी तय करने के बाद आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को एल-1 बिंदु पर ले जाएगा। इस बिंदु पर पहुंचने के बाद, आदित्य-एल1 बहुत महत्वपूर्ण डेटा भेजना शुरू कर देगा। यह मिशन ऐसे समय में क्रियान्वित किया जा रहा है जब कुछ दिन पहले ही भारत का चंद्रयान-3 मिशन सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य तक पहुंचा है।

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आदित्य-L1 का वजन कितना है?

बता दें कि आदित्य-एल1 का वजन 1480.7 किलोग्राम है। प्रक्षेपण के करीब 63 मिनट बाद डिजाइन से आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान अलग हो जाएगा। डिजाइन वैसे तो आदित्य को 25 मिनट में ही तय क्लास में पहुंचा दिया जाएगा। यह सबसे लंबे समय तक चलने वाले डिजाइन में से एक है।

ISRO प्रमुख एस सोमनाथ ने यहां मीडिया से कहा- Aditya-L1 को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया है। गंतव्य तक पहुंचने में इसे 125 दिन लगेंगे। ISRO की वेबसाइट के अनुसार, आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को सूर्य की कक्षा के दूरस्थ अवलोकन और एल-1 (सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु) पर सौर हवा का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। यह सूर्य का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला समर्पित मिशन है।

ISRO-Aditya-L1-Mission

यह मिशन जलवायु परिवर्तन को समझने में सबित होगा अहम

भारत के इस मिशन पर दुनिया भर के वैज्ञानिकों को सौर मिशन आदित्य एल-1 के माध्यम से एकत्र किए गए आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद सूर्य के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नई जानकारी मिलने की उम्मीद है। यह डेटा आने वाले दशकों और सदियों में पृथ्वी पर संभावित जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

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