भोपाल: अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (सीसीटीएनएस) गृह मंत्रालय व राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) भारत सरकार की जारी सूची में मध्य प्रदेश को अंतर–प्रचलित आपराधिक न्याय प्रणाली (आईसीजेएस) के जरिए मामलों के समाधान में मिली सफलता के लिए दूसरा स्थान मिला है। नई दिल्ली में गुरुवार को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो मिनिस्ट्री ऑफ होम अफेयर्स एनसीआरबी के कार्यक्रम में मध्यप्रदेश की स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एससीआरबी) पुलिस को यह सम्मान प्राप्त हुआ है।
एडीजी चंचल शेखर ने शुक्रवार को उक्त जानकारी देते हुए बताया कि सीसीटीएनएस जांच, अपराध की रोकथाम, कानून और व्यवस्था के रखरखाव और अन्य कार्यों जैसे आपातकालीन प्रतिक्रिया, संचार में सुधार और पुलिस कर्मचारियों को मुख्य पुलिस कार्यों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए उन्नत उपकरण प्रदान करता है। इसने अपराध और आपराधिक सूचना डेटाबेस को साझा करने, बेहतर और त्वरित जांच, अपराध की रोकथाम और अपराधियों, सदिग्धों, अभियुक्तों और बार-बार अपराधियों पर नज़र रखने के अलावा राज्य, देश और अन्य एजेंसियों में खुफिया जानकारी साझा करने के लिए एक मंच बनाने में भी मदद की है।
उन्होंने बताया कि सीसीटीएनएस गृह मंत्रालय, एनसीआरबी, भारत सरकार के तहत ई-गवर्नेस के माध्यम से प्रभावी पुलिसिंग के लिए एक व्यापक और एकीकृत प्रणाली बनाने की एक परियोजना है। रैंकिंग पुलिस थानों द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने से लेकर अपराध की जांच की वर्तमान स्थिति तक डेटा अपलोड करने पर आधारित है। जिसमें मध्य प्रदेश की पुलिस निरंतर बेहतर कार्य कर रही है।
उन्होंने कार्यक्रम में आईसीजेएस और सीसीटीएनएस के कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह सिस्टम पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने में कारगर है। कार्यक्रम में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा, राजेश जरोहर, विवेक गोहिया, प्रसून गुप्ता, डिप्टी डायरेक्टर सहित अन्य राज्यों से एससीआरबी के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
पुलिसकर्मियों को मिला सम्मान
मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग के इन्टरोप्रेबल क्रिमनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) में कार्यरत छतरपुर से उप निरीक्षक रेडियो ओमशंकर सिंह और पुलिस मुख्यालय में आईसीजेएस टीम के प्रधान आरक्षक दीपेश यादव को सम्मानित किया गया। यह सम्मान विभाग के द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए मिला है। एडीजी चंचल शेखर ने बताया कि नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (नेफिस) के माध्यम से प्रदेश में 87 मामलों को सुलझाया गया है, जिनमें 59 मामले दूसरे राज्यों से जुड़े अपराधियों से संबंधित हैं। राज्य को देश में दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। यह हमारे लिए गौरव की बात है।
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