नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट देशद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक और याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता मेजर जनरल (रिटायर्ड) सुधीर जी वोम्बटकेरे को याचिका की कॉपी अटॉर्नी जनरल को देने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई कल यानी 15 जुलाई को होगी।
पिछले 12 जुलाई को राजद्रोह के कानून के खिलाफ दायर एक दूसरी याचिका पर सुनवाई टाल दी थी। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय देने की मांग की थी। याचिका मणिपुर के पत्रकार किशोरचंद्र वांगखेमचा और छत्तीसगढ़ के पत्रकार कन्हैयालाल शुक्ल ने याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील तनिमा किशोर ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए संविधान की धारा 19 का उल्लंघन करती है। यह धारा सभी नागरिकों को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ सिंह बनाम बिहार राज्य के मामले में 1962 में सुप्रीम कोर्ट ने भले ही कानून की वैधता को बरकरार रखा था, लेकिन अब इसके साठ साल बीतने के बाद ये कानून आज संवैधानिक कसौटी पर पास नहीं होता है।
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याचिका में कहा गया है कि भारत पूरे लोकतांत्रिक दुनिया में अपने को लोकतंत्र कहता है। ब्रिटेन, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, घाना, नाइजीरिया और युगांडा ने राजद्रोह को अलोकतांत्रिक करार दिया है। याचिका में कहा गया है कि दोनों याचिकाकर्ता एक मुखर और जिम्मेदार पत्रकार हैं। वे संबंधित राज्य सरकारों और केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हैं। दोनों के खिलाफ सोशल मीडिया पर कार्टून शेयर करने के लिए धारा 124ए के तहत राजद्रोह की धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज किए गए हैं।