नई दिल्लीः भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और अन्य हवाईअड्डा डेवलपर्स ने अगले पांच वर्षों में मौजूदा टर्मिनलों के विस्तार और संशोधन, नए टर्मिनलों और रनवे के सुदृढ़ीकरण सहित अन्य गतिविधियों के लिए हवाईअड्डा क्षेत्र में लगभग 98,000 करोड़ रुपये खर्च करने का लक्ष्य रखा है, संसद को गुरुवार को यह जानकारी दी गई। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जनरल वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने एक लिखित जवाब में लोकसभा को बताया कि हवाई अड्डों के बुनियादी ढांचे का उन्नयन या आधुनिकीकरण एक सतत प्रक्रिया है और एएआई और अन्य हवाईअड्डा डेवलपर्स द्वारा समय-समय पर भूमि की उपलब्धता, वाणिज्यिक व्यवहार्यता, सामाजिक-आर्थिक विचार, यातायात की मांग/ऐसे हवाईअड्डों से संचालन के लिए एयरलाइनों की इच्छा के आधार पर किया जाता है।
जवाब में कहा गया है कि नौ परिचालित ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों की परियोजना लागत हैं: दुगार्पुर 670 करोड़ रुपये, शिरडी 320 करोड़ रुपये, पाकयोंग 553.53 करोड़ रुपये, कन्नूर 2,342 करोड़ रुपये, कालाबुरागी 175.57 करोड़ रुपये, ओरवाकल (कुरनूल) 187 करोड़ रुपये, सिंधुदुर्ग 520 करोड़ रुपये, कुशीनगर 448 करोड़ रुपये, और डोनी पोलो, ईटानगर 646 करोड़ रुपये।
इसके अलावा, दिल्ली, बेंगलुरु, हैदराबाद, लखनऊ, मंगलुरु, गुवाहाटी और अहमदाबाद हवाई अड्डों ने 2019-25 की अवधि के लिए क्रमश: 10,550 करोड़ रुपये, 13,552 करोड़ रुपये, 6,288 करोड़ रुपये, 1,383 करोड़ रुपये, 567 करोड़ रुपये, 1,232 करोड़ रुपये और 376 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय निर्धारित किया है।
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने हवाईअड्डे के बुनियादी ढांचे के लिए आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक संबंधित नागरिक उड्डयन आवश्यकता (सीएआर) जारी किया है। उन्होंने कहा कि सीएआर अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन द्वारा नागरिक उड्डयन पर कन्वेंशन के अनुबंध -14 में प्रकाशित एयरोड्रोम के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों और अनुशंसित प्रथाओं पर आधारित है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)