Food Wasted, नई दिल्लीः दुनिया भर में भुखमरी और गरीबी का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण आर्थिक असमानता और गरीबों का पेट भरने में विफल रहीं सरकारों और उनकी नीतियों को माना जाता रहा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र (यूएन)की एक रिपोर्ट ने गरीबी और भुखमरी को लेकर दुनिया भर के लोगों की राय ही बदलकर रख दी है।
80 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट सोने को मजबूर
यूएन ने दुनिया भर में 80 करोड़ से अधिक लोगों के भूखे पेट सोने की बड़ी वजह का खुलासा किया है। यूएन ने पूरी दुनिया में खाने की लगातार हो रही बर्बादी पर एक रिपोर्ट सबके सामने रखी है जो बताती है कि जहां एक तरफ 80 करोड़ से अधिक लोग भूखे रहने को मजबूर हैं, वहीं दुनिया भर में हर दिन एक अरब टन खाना फेंक दिया जाता है।
यूएन की फूड वेस्ट इंडेक्स 2024 की रिपोर्ट में बताया गया कि घरों और रेस्टोरेंट ने उस समय एक ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का खाना फेंक दिया जिस समय दुनिया में 80 करोड़ से ज्यादा लोग भूखे पेट रहने और सोने को मजबूर थे। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2022 में एक अरब टन से ज्यादा खाना फेंक दिया गया था। यही नहीं दुनिया में एक व्यक्ति सालाना औसतन 79 किलोग्राम खाना बर्बाद कर देता है। जबकि दुनिया भर में बर्बाद होने वाले कुल खाने को जरूरतमंदों तक पहुंचा दिया जाए तो करोड़ों लोगों को भूखे पेट सोने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा कि लगातार हो रही खाने की बर्बादी एक वैश्विक त्रासदी है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक इंगर एंडरसन ने जारी एक बयान में कहा कि दुनिया भर में खाना बर्बाद होने की वजह से आज लाखों लोग भूखे रहने को मजबूर हैं। इस तरह की बर्बादी से पर्यावरण पर भी बहुत असर पड़ता है। ये रिपोर्ट यूएन के साथ मिलकर वर्ल्ड वाइड रिस्पॉन्सिबल एक्रेडिटेड प्रोडक्शन (व्रैप) संगठन ने तैयार की है। व्रैप के रिचर्ड स्वानेल ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि मेरे लिए, ये आंकड़ा बेहद चौंका देने वाला है।
दुनिया में 800 मिलियन लोग भूखे
दुनिया में 800 मिलियन लोग भूखे हैं, आप रोजाना बर्बाद हो रहे खाने से उनको एक दिन का खाना खिला सकते हैं। ऐसा नहीं है कि खाना बर्बाद करने वाले देशों की सूची में केवल अमीर या बड़े देशों के नाम ही शामिल हैं, इनमें छोटे और गरीब देशों में भी खाने की बर्बादी का आलम भी लगभग वैसा ही है। हालांकि शहरों की अपेक्षा गांवों में होने वाली खाने की बर्बादी का आंकड़ा काफी कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि गांवों में बचने वाला खाना अधिकांशतः पालतू जानवरों को खाने के लिए दे दिया जाता है, जिसकी वजह से गांवों में खाना कम ही बर्बाद होता है। आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2022 में साल भर में 1.05 अरब टन खाना बर्बाद हो गया। यह लोगों को उपलब्ध होने वाले खाने का 19 प्रतिशत बताया जा रहा है।
इस हिसाब से साल भर में एक ट्रिलियन डॉलर यानी लगभग 84 लाख करोड़ रुपये का खाना बर्बाद हो गया। इसमें रेस्टोरेंट, कैंटीन और होटलों को कुल 28 प्रतिशत खाना बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार माना गया है। लेकिन सबसे ज्यादा खाना बर्बाद करने वालों में घरों की भूमिका रही है, जिनकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत यानी 631 मिलियन टन के करीब थी।
29 करोड़ टन खाना फूड सर्विस सेक्टर और 13 करोड़ टन खाना रिटेल सेक्टर में बर्बाद हुआ है। 2022 में औसतन दुनियाभर में हर व्यक्ति ने 79 किलोग्राम खाना बर्बाद किया है। अमीर देशों के मुकाबले गरीब देशों में मजह 07 किलोग्राम खाने की बर्बादी हुई है। यह स्थिति तब है जब दुनिया भर में 80 करोड़ से अधिक लोग भूखे पेट सो जाते हैं। इतना ही नहीं दुनिया भर में इंसानों की आबादी के एक तिहाई हिस्से पर खाने का संकट मंडरा रहा है।
खाना बर्बाद करने में भारतीय भी नहीं पीछे
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है कि एक भारतीय साल भर में औसतन 55 किलोग्राम खाना बर्बाद कर देता है। इस हिसाब के भारतीय परिवारों में सालाना 7.81 करोड़ टन से ज्यादा का खाना बर्बाद कर दिया जाता है। भारत के पड़ोसी मुल्कों में भी खाने की बर्बादी का आलम ऐसा ही है। भारत के पड़ोसी देश चीन में सबसे अधिक खाने की बर्बादी होती है। चीन में हर साल एक व्यक्ति औसतन 76 किलोग्राम खाना बर्बाद करता है। इस हिसाब के चीन में परिवारों के माध्यम से साल भर में 10.86 करोड़ टन खाना बर्बाद किया जाता है। पाकिस्तान में हर व्यक्ति सालाना औसतन 130 किलोग्राम खाना बर्बाद करता है।
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पाकिस्तान में साल भर में 3.07 करोड़ टन खाना बर्बाद होता है। जबकि बांग्लादेश में 1.41 करोड़ टन, अफगानिस्तान में 52.29 लाख टन, नेपाल में 28.31 लाख टन, श्रीलंका में 16.56 लाख टन और भूटान में 15 हजार टन से ज्यादा खाना हर साल बर्बाद हो जाता है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि खाद्य बर्बादी के स्तर और औसत तापमान में सीधा सम्बन्ध है। गर्म जलवायु वाले देशों में घर-परिवारों में प्रति व्यक्ति ज़्यादा मात्रा में भोजन की बर्बादी होती है, चूँकि वहां ताज़ा भोजन खाने की प्रवृत्ति है और खाने को सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में रेफ्रिजरेटर सी सुविधा का अभाव हो सकता है।
ऊंचे तापमान, ताप लहरों या सूखे के कारण भोजन का सुरक्षित ढंग से भंडारण, परिवहन, प्रसंस्करण चुनौतीपूर्ण हो जाता है, जिससे बड़ी मात्रा में भोजन की बर्बादी या हानि होती है। भोजन हानि और बर्बादी, 10 प्रतिशत वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार है, जोकि विमानन सेक्टर में कुल उत्सर्जन का पांच गुना है। इसके मद्देनज़र, यूएन विशेषज्ञों ने भोजन बर्बादी से होने वाले उत्सर्जन में कटौती लाने पर भी बल दिया है।
इसलिए होती ज्यादातर खाने की बर्बादी
व्रैप के रिचर्ड स्वानेल ने कहा कि ऐसा ज्यादातर इसलिए हुआ क्योंकि लोग अपनी जरूरत से ज्यादा खाना खरीद रहे थे। यूएन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खाने की बर्बादी दुनिया की लगभग 30 प्रतिशत खेती के बराबर है। खाने की बर्बादी में मुख्य भूमिका उसकी एक्सपायेरी डेट की भी रही है। जिसकी वजह से लोगों ने खाना बर्बाद किया है।
वहीं ग्लोबल फूड बैंकिंग नेटवर्क की सीईओ लिसा मून ने बताया कि खाने की बर्बादी को कम करने के लिए फूड बैंकिंग अनूठा मॉडल है। क्योंकि फूड बैंक न सिर्फ मैन्युफैक्चरर्स, किसानों, रिटेल सेलर और फूड सर्विस सेक्टर के साथ मिलकर काम करते हैं, बल्कि कुछ सकारात्मक कार्य भी करते हैं। इनका मकसद खाना बर्बाद होने से रोकने के साथ ही जरूरतमंद लोगों तक खाना पहुंचाने का काम सुनिश्चित करना भी होता है। इसके साथ ही यदि लोग अपनी भूख के अनुसार ही खाना बनाएं या खरीदें तो खाने की बर्बादी कम होगी।
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