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शोपीस बने लखनऊ के 55 निजी कोविड अस्पताल, भटक रहे मरीज

लखनऊः कोरोना के एपिसेंटर बन चुके लखनऊ शहर में मरीजों को राहत देने के लिए सरकार व प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रयास हवा-हवाई ही साबित हो रहे हैं। कागजों में तो प्रशासन द्वारा 55 निजी कोविड अस्पतालों की सूची के साथ उनके मोबाइल नंबर जारी कर दिए गए, पर यह सिर्फ शोपीस बने हुए है। फोन करने पर किसी अस्पताल का नंबर स्विच ऑफ मिल रहा है तो किसी का नंबर ही गलत, ऐसे में सवाल यह उठता है कि प्रशासन द्वारा केवल खानापूर्ति के लिए ही राहत देने की बात कही जा रही है।

लखनऊ प्रशासन द्वारा दो दिन पहले राजधानी के 55 प्राइवेट अस्पतालों में कितने बेड हैं, उनकी लिस्ट जारी की थी। प्रशासन ने इन अपतालों को रोजाना पोर्टल पर भर्ती और डिस्चार्ज मरीजों की संख्या भी दर्ज करने के निर्देश दिए थे। यह भी कहा था कि अस्पतालों के बाहर भी बेडों की उपलब्धता का चार्ट प्रतिदिन लगाया जाए। इन सब निर्देशों के साथ 55 प्राइवेट अस्पतालों के नंबर भी जारी किए गए थे, जिससे कोई भी व्यक्ति इन नंबरों पर फोन कर आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड और वेंटिलेटर युक्त बेड के बारे में आसानी से जानकारी ले सके और अपने मरीज को भर्ती करा सके। बड़ी जोर-शोर से प्रशासन द्वारा यह नंबर जारी तो कर दिए गए और दावा किया गया कि अब मरीजों के लिए बेड व वेंटिलेटर की कमी नही होगा, पर यह सिर्फ कागजी कोरम ही साबित हो रहा है। निजी अस्पताल मनमाने तौर पर ही मरीजों को भर्ती कर रहे हैं और आम लोगों इधर-उधर भटक रहे हैं।

किसी का मोबाइल स्विच ऑफ तो किसी का नंबर ही गलत

लखनऊ प्रशासन द्वारा आधिकारिक तौर पर अस्पतालों के नाम के साथ मोबाइल नंबर जारी किए गए हैं, पर खुद ही इनकी सही तरीके से जांच-पड़ताल नही की। सोमवार को इंडिया पब्लिक खबर ने 55 निजी अस्पतालों में से 10 अस्पतालों को बारी-बारी से फोन मिलाया तो प्रशासन के सारे दावों की कलई खुल गयी। विद्या अस्पताल हरिकंठ गढ़ी, रायबरेली रोड का फोन स्विच ऑफ मिला, तो मेयो हॉस्पिटल, गोमतीनगर में फोन ही नही उठा। विवेकानंद हॉस्पिटल, विवेकानंदपुरम में बार-बार फोन मिलाने पर भी नंबर नही उठा तो ओपी चौधरी हॉस्पिटल, सुल्तानपुर रोड का नंबर ही गलत निकला। कुर्सी रोड पर स्थित संजीवनी हॉस्पिटल का नंबर स्विच ऑफ तो किंग मेडिकल सेंटर काकोरी का कई कॉल करने के बाद भी फोन नही उठा।

कुछ ऐसा ही हाल दुबग्गा स्थित काकोरी हॉस्पिटल व मलिहाबाद स्थित एसएचएम हॉस्पिटल का भी रहा। मटियारी स्थित बाबा हॉस्पिटल का फोन कई बार लगाने के बाद उठा तो यहां के नोडल अधिकारी बनाए गए डॉ. आर.के. बाजपेयी ने बताया कि प्रशासन द्वारा केवल हवा बनाई जा रही है। अस्पताल में कल से ही ऑक्सीजन नही है, इसके लिए कई बार फोन भी किया गया पर कोई मदद नही मिली। बेड तो खाली पड़े हैं, लेकिन ऑक्सीजन न होने के चलते मरीजों की भर्ती नही कर पा रहे हैं। चंद्रिका देवी रोड स्थित जीसीआरजी मेमोरियल हॉस्पिटल में फोन करने पर पता चला कि अभी यहां पर मेंटीनेंस का ही काम चल रहा है। बताया गया कि तीन दिन बाद ही यहां पर इलाज शुरू हो पाएगा।

शहर के नामी-गिरामी अस्पतालों का भी यही हाल

राजधानी के बड़े निजी अस्पतालों के भी न तो नंबर उठ रहे हैं और न ही फोन मिल रहे हैं। गोमतीनगर स्थित सहारा हॉस्पिटल का नंबर जहां लगातार बिजी जा रहा है तो वहीं शहीद पथ स्थित मेदांता हॉस्पिटल का फोन ही नहीं मिल रहा है। ऐसा ही कुछ हाल आलमबाग स्थित अपोलो मेडिक्स का भी है, जहां कई बार फोन लगाने के बाद भी नहीं उठा।

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मुकदमा दर्ज करने की दी है चेतावनी

प्रशासन द्वारा 55 निजी अस्पतालों द्वारा जारी किए नंबरों के फोन न उठाने, पोर्टल पर भर्ती व डिस्चार्ज मरीजों की संख्या अपडेट न करने व बेडों की उपलब्धता के चार्ट अस्पताल के बाहर न लगाने पर उनके खिलाफ आपदा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किए जाने की बात कही थी।