राजस्थान के अभ्यारणों में पांच वर्षो में जंगली जानवरों के हमले में 34 लोगों की मौत

जयपुरः राजस्थान के अभ्यारणों में पिछले पांच वर्षों में जंगली जानवरों के हमले में 34 लोगों की मौत हुई है, वहीं 155 व्यक्ति घायल हुए हैं। इनमें में सबसे अधिक 10 लोग मगरमच्छों का ग्रास बने हैं। वहीं बाघ के हमलों से 6 और बघेरों के हमले में 8 व्यक्तियों की मौत हुई है। जबकि शेष मौतें अन्य जानवरों के हमले से हुई है। यह आंकड़ा वर्ष- 2015 से 2020 तक का है।

वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई ने विधानसभा में एक लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि रणथंभौर बाघ परियोजना सवाईमाधोपुर में वर्तमान में 23 नर, 29 मादा तथा 19 शावक है। जबकि करौली बाघ परियोजना में 2 नर, एक मादा तथा दो शावक है। इसके अलावा सरिस्का बाघ परियोजना में 8 नर, दस मादा एवं सात शावक है। कोटा के मुकंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में एक मादा तथा रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य में एक नर बाघ हैं। उन्होंने माना कि रणथंभौर बाघ परियोजना में वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक 47 व्यक्तियों पर बाघ हमले कर चुका हैं, जबकि छह मामलों में सैलानियों की मौतें हो चुकी हैं। करौली बाघ परियोजना में दस प्राणघातक हमले हुए हैं, जिनमें सिर्फ सैलानी घायल हुए। सवाई माधोपुर के राष्ट्रीय चम्बल घडियाल अभयारण्य में इस अवधि में मगरमच्छ के प्राणघातक हमलों में तीन लोग घायल हुए, जबकि 10 लोगों की मौत हुई। एकमात्र भरतपुर के केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में इस अवधि के दौरान किसी तरह का ऐसा मामला सामने नही आया।

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उन्होंने बताया कि अलवर की सरिस्का बाघ परियोजना के अजबपुरा, बैरावास, नाथूसर रेंज में 2015-16 में चार, सांवतसर, भडाज, रायपुरा भाल, अकबरपुर, खुर्रावाला मंदिर, जैतपुर पहाड़ तथा सीलीबावड़ी रेंज में 2016-17 में सात तथा इन्दौक, तंवरों की ढाणी, हाजीपुर में चार, वर्ष 2017-18 में रेंज अजबगढ़ के बस्सी जंगल, बसई जोगियान में दो, 2018-19 में बीट दुहार, गुवाड़ा राड़ी, मीनाला रेंज, टोडी लुहारान, जमवारामगढ़ की दीपोला में सात तथा 2019-20 में कटिया जंगल में एक सैलानी पर प्राणघातक हमले की वारदात हुई। मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक वन्य जीवों के हमलों में दो सैलानियों की मौत हुई, जबकि सात लोग घायल हुए। इसी तरह जोधपुर वन्यजीव के मुख्य वन संरक्षक के क्षेत्राधिकार में इस अवधि के दौरान आठ लोगों की मौत हुई, जबकि 64 लोग घायल हुए। उदयपुर वन्यजीव वन मंडल के क्षेत्राधिकार में भालू व पैंथर के हमलों में चार लोग घायल हुए। चित्तौडगढ़ वन्यजीव वन मंडल में बघेरे के हमले में दो लोग घायल हुए। सरकार ने यह जरुर स्वीकार किया है कि रणथंभौर बाघ परियोजना में बाघों के बढ़ते कुनबे के कारण बाघ अब परियोजना क्षेत्र से बाहर निकलने लगे है। बाघ एवं वन्यजीव वन क्षेत्र से आबादी अथवा कृषि क्षेत्र में नहीं निकले, इसके लिए वन क्षेत्रों व टाईगर रिजर्व क्षेत्रों मे आवास सुधार के कार्य करवाए जा रहे हैं। बाघ परियोजना क्षेत्रों में स्थित ग्रामों के विस्थापन के प्रयास भी किए गए हैं, ताकि बाघ व वन्यजीवों के लिए अतिरिक्त सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध हो सके।