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Himachal Election 2022: कांगड़ा, मंडी व शिमला की 33 सीटों पर रहेगी प्रदेश की नजर

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शिमला: हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने में अब तीन दिन का समय ही शेष है। प्रदेश की नज़र एक बार फिर तीन बड़े सियासी जिलों कांगड़ा, मंडी और शिमला की 33 सीटों पर रहेगी। ये जिले तय करेंगे कि राज्य में भाजपा सरकार बदलने का रिवाज बदलेगी या राज बदलकर कांग्रेस सत्ता में काबिज होगी। कांगड़ा, मंडी और शिमला जिलों में जिसका पलड़ा भारी होगा, सत्ता उसी ओर झुकेगी। इन तीन जिलों की सीटें हिमाचल में सरकार तय करती हैं, इनमें कांगड़ा सबसे अहम है।

दरअसल कांगड़ा जिला में सर्वाधिक 15 सीटें हैं। मंडी जिला में सीटों का आंकड़ा 10 और शिमला जिला में 08 है। अब तक हुए विधानसभा चुनाव में कांगड़ा जिला ने जिस दल को साथ दिया है, उसकी सरकार बनी है। वर्ष 2017 के विस चुनाव में भाजपा ने कांगड़ा जिला से 11 सीटें जीतीं थीं, जबकि कांग्रेस के खाते में महज तीन सीटें आईं और एक पर निर्दलीय विजयी हुआ था। इसी तरह मंडी जिला की 10 सीटों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया था। भाजपा ने 09 और निर्दलीय ने 01 सीट पर जीत दर्ज की थी। कांगड़ा और मंडी जिलों में मिली करारी हार की वजह से तत्कालीन वीरभद्र सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी। दोनों जिलों के अलावा शिमला जिला की 08 सीटें भी महत्वपूर्ण हैं। कांग्रेस का गढ़ रहे शिमला जिला में कांग्रेस ने 04, भाजपा ने 03 और माकपा ने 01 सीट जीती थी।

दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर-

कांगड़ा जिले से विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार समेत तीन मंत्रियों राकेश पठानिया, सरवीण चौधरी और बिक्रम ठाकुर की प्रतिष्ठा दांव पर है। राकेश पठानिया ने इस बार नूरपुर की बजाय फतेहपुर से चुनाव लड़ा है। कांग्रेस के लिए इस जिले में राहत ये है कि भाजपा को कई सीटों पर बगावत व भीतरघात से जूझना पड़ा है। फतेहपुर, देहरा, कांगड़ा, धर्मशाला और इंदौरा में बागी भाजपा के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। कांग्रेस को सुलह सीट पर बगावत का खतरा है। अपने गृह जिला मंडी में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की साख दांव पर लगी है। यहां भाजपा को पिछले चुनाव के प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती है। कांग्रेस दिग्गज व पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत सुखराम के बेटे अनिल शर्मा मंडी सदर से एक बार फिर भाजपा की टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।

जयराम सरकार में ताकतवर मंत्री महेंद्र सिंह की जगह उनके बेटे रजत ठाकुर धर्मपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। खास बात यह है कि इस जिले की दो सीटों पर कांग्रेस ने पिता और पुत्री को उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री कौल सिंह ने द्रंग जबकि उनकी बेटी चंपा ठाकुर मंडी सदर से चुनाव लड़ा है। इन हॉट सीटों के चुनाव परिणाम पर सबकी नजरें रहेंगी। दोनों पिता-पुत्री पिछला विस चुनाव हार चुके हैं।

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शिमला में कांग्रेस का पलड़ा भारी-

शिमला में कांग्रेस का पलड़ा हर बार भारी रहा है। इस चुनाव में भाजपा के कैबिनेट मंत्री सुरेश भारद्वाज का हल्का बदला गया है। शिमला शहरी से हैट्रिक लगा चुके सुरेश भारद्वाज ने कांग्रेस के वर्चस्व वाले कुसुम्पटी हल्के से चुनाव लड़ा है, जहां पिछले 10 सालों से कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह विधायक हैं। भाजपा ने यहां टिकटों में भारी फेरबदल किया है। शिमला शहरी, शिमला ग्रामीण, ठियोग और रामपुर में नए चहरों को उतारा गया है। कांग्रेस शिमला जिले की आठ सीटों पर होलिलोज के सियासी रुतबे के भरोसे है। छह बार सीएम रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह का यह गृह जिला है। वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से लगातार दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं।

तीन जिलों में झोंकी ताकत-

इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरह से भाजपा और कांग्रेस ने कांगड़ा, मंडी और शिमला जिलों को फोकस में रखा, उसका असर 08 दिसंबर को आने वाले नतीजों में दिखेगा। दोनों दलों ने अपने स्टार प्रचारकों को चुनाव प्रचार में झोंका। भाजपा की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं तो कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी अकेले ही मोर्चे पर जूझती रही। हालांकि प्रचार के अंतिम दौर में राष्ट्रीय अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे, छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, सचिन पायलट भी मैदान में उतरे।

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