Home टॉप न्यूज़ गेमचेंजर साबित हो सकती है ‘2-डीजी’, उत्पादन बढ़ाने में जुटे वैज्ञानिक

गेमचेंजर साबित हो सकती है ‘2-डीजी’, उत्पादन बढ़ाने में जुटे वैज्ञानिक

ई दिल्लीः ​कोरोना महामारी के संकट में डीआरडीओ द्वारा तैयार की गई दवा ‘2-डीजी’ का पहला बैच अगले हफ्ते मिल सकता है। इसके लिए तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं। इसके साथ ही इसके उत्पादन को बढ़ाए जाने का भी प्रयास किया जा रहा है। इस दवा के इस्तेमाल की शुरुआत देशभर में चल रहे डीआरडीओ के कोविड केयर अस्पतालों से होगी जहां मौजूद सशस्त्र बलों के डॉक्टर अपनी निगरानी में मरीजों को दवा देंगे।

कोविड संकट के समय देश के पहले ओरल ड्रग को इमरजेंसी इस्तेमाल की ड्रग्स कंट्रोलर से मंजूरी मिलना डीआरडीओ के लिए बड़ी उपलब्धि है। साथ ही पानी में घोलकर पीने वाली यह 2-डीजी दवा देश को कोविड संकट से उबारने में गेमचेंजर साबित हो सकती है।डॉक्टर रेड्डीज लैब के सहयोग से तैयार की इस दवा की 10 हजार खुराक अगले सप्ताह तक मिलने की उम्मीद है। इस दवा के इस्तेमाल की शुरुआत देशभर में चल रहे डीआरडीओ के कोविड केयर अस्पतालों से होगी जहां मौजूद सशस्त्र बलों के डॉक्टर अपनी निगरानी में मरीजों को दवा देंगे।

डॉक्टर रेड्डीज की हैदराबाद लैब के अलावा अन्य केंद्रों पर ‘2-डीजी’ का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू किया जा रहा है। इस दवा के बारे डीआरडीओ के अधिकारी का कहना है कि यह दवा कोरोना मरीजों को रिकवर करने और ऑक्सीजन पर उनकी निर्भरता को कम करती है। यानी इस दवा को लेने के बाद मरीज कोरोना वायरस से जंग जीत रहे हैं। इस दवा को विकसित करने वाले वैज्ञानिकों डॉ. अनंत एन. भट और डॉ. सुधीर चांदना का कहना है कि कोई भी वायरस शरीर के अंदर प्रवेश करने के बाद मानव कोशिकाओं को धोखा देकर अपनी जड़ें जमाता है। इसके लिए वह कोशिकाओं से बड़ी मात्रा में प्रोटीन लेता है। यह दवा एक ‘सूडो’ ग्लूकोस है जो संक्रमित कोशिकाओं में जमा होकर वायरस को शरीर में आगे बढ़ने से रोक देती है।

डीआरडीओ के परमाणु चिकित्सा और संबद्ध विज्ञान संस्थान ने डी-ग्लूकोस (2-डीजी) दवा को हैदराबाद स्थित डॉ. रे रेड्डी लेबोरेटरीज के साथ तैयार किया है। इसे बेहद आसानी से उत्पादित किया जा सकता है, इसलिए देशभर में जल्दी ही आसानी से उपलब्ध हो जाएगी क्योंकि इसमें बेहद जेनेरिक मॉलिक्यूल हैं और ग्लूकोस जैसा ही है। 2-डीजी दवा एक पाउच में पाउडर के रूप में आती है जिसे पानी में घोलकर आसानी से पिया जा सकता है। कोविड के इलाज में देश के पहले ओरल ड्रग (मुंह से लेने वाली दवा) को इमरजेंसी इस्तेमाल की ड्रग्स कंट्रोलर से मंजूरी मिलने के बाद डीआरडीओ प्रमुख डॉ. जी. सतीश रेड्डी का कहना है कि तीन चरणों में प्रभावी साबित होने के बाद अब आसानी से बड़े पैमाने पर इस दवा का उत्पादन किया जा सकता है जिससे कोविड संकट के समय देश के स्वास्थ्य ढांचे पर पड़ रहे बोझ से राहत मिलेगी।

यह भी पढे़ंः-18 मई को गुजरात में तबाही मचा सकता है तूफान, मछुआरों को दी गई सख्त हिदायत

वैज्ञानिक डॉ. अनंत एन. भट का कहना है कि एंटी-कोविड दवा 2-डीजी को शुरू में ब्रेन-ट्यूमर और कैंसर के लिए विकसित किया गया था, लेकिन इससे पहले इसका कोरोना पर परीक्षण शुरू कर दिया, जो सफल रहा। इस दवा की उपलब्धता बढ़ाने के लिए डॉ. रेड्डी की प्रयोगशालाओं के साथ मिलकर काम किया जा रहा है। अब हम इस दवा का जल्द से जल्द उत्पादन शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। इस ओरल ड्रग के दाम तय करने के लिए उद्योग भागीदार डॉ. रेड्डी की प्रयोगशालाओं के साथ काम चल रहा है। हमारी कोशिश है कि कुछ दिनों में ही दवा का लागत मूल्य तय कर लिया जाए जिससे यह पता चल सके कि बाजार में उपलब्ध होने पर क्या कीमत होगी।

Exit mobile version