लॉकडाउन : क्या अक्षय तृतीया पर भारतीय खरीदेंगे डिजिटल गोल्ड ?

न्यूज डेस्क

26 अप्रैल को अक्षय तृतीया है। इस दिन जितना सोना भारत में बिकता है वो पूरे साल के सोने की बिक्री का तीन से चार प्रतिशत होता है। चूंकि देश में लॉकडाउन है तो सोने के विक्रेता की चिंता बढ़ी हुई है। उनकी चिंता जायज भी है। अब विक्रेताओं को डिजिटल बिक्री से उम्मीद है, लेकिन इस लॉकडाउन में क्या यह संभव है, क्योंकि होम डिलीवरी की इजाजत नहीं है।

इस बार अक्षय तृतीया पर विक्रेताओं को बड़ा नुकसान होने का अंदेशा है। फिर भी अलग-अलग विक्रेता लॉकडाउन के बीच भी थोड़ी बिक्री हो पाए इसकी जुगत लगा रहे हैं, डिजिटल बिक्री का सहारा लेकर। इसमें इंटरनेट के जरिए सोने की बुकिंग और रकम का भुगतान हो जाएगा और भुगतान के बाद ऑनलाइन रसीद आ जाएगी। इस तरह खरीदार के पास डिजिटल रूप में सोना आ जाएगा।

यह भी पढ़ें : पाकिस्तान के धार्मिक नेता मस्जिदों में जाने पर क्यों जोर दे रहे हैं? 

हर साल अप्रैल-मई के महीने में आने वाले त्योहार अक्षय तृतीया हिंदू परिवार के लिए बहुत अहमियत रखता है। यह त्योहार हिन्दू कैलेंडर विक्रम संवत के वैशाख महीने में आता है और हिन्दू परिवारों में ऐसी मान्यता है कि इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार सोना जरूर खरीदना चाहिए। ज्यादातर हिंदू परिवार अपनी हैसियत के अनुसार कुछ न कुछ खरीदते जरूरत है, लेकिन इस बार तालाबंदी के के बीच अक्षय तृतीया का त्योहार आ रही है इसलिए सोना-चांदी की दुकानें बंद होने की वजह से अधिकांश लोग सोने की खरीददारी नहीं कर पायेंगे।

यह भी पढ़ें : लॉकडाउन : किन समस्याओं से जूझ रहे हैं किसान 

यह भी पढ़ें :  भोजन संकट से जूझ रहे अमेरिकी अब फूड बैंकों के सहारे

2019 में अक्षय तृतीया पर 23 टन सोना बिका था, यानी 30 अरब रुपये से भी ज्यादा का कारोबार हुआ था। हर साल इस तिथि पर जितना सोना बिकता है वो पूरे साल के सोने की बिक्री का तीन से चार प्रतिशत तक होता है। इस बार तालाबंदी की वजह से बिक्री में भारी कमी की आशंका विक्रेताओं ने व्यक्त की है। हालांकि कुछ बड़ी कंपनिया डिजिटल बिक्री का सहारा लेकर सोना बेचने के कोशिश में लगी हुई हैं।

डिजिटल बिक्री में इंटरनेट के जरिए सोने की बुकिंग और रकम का भुगतान हो जाएगा और भुगतान के बाद ऑनलाइन रसीद आ जाएगी। इस तरह खरीदार के पास डिजिटल रूप में सोना आ जाएगा। तालाबंदी जब भी खुले तब वो उस कंपनी की दुकान पर जा कर या तो उस रसीद के बदले उतना सोना ले सकता है या उस रसीद पर लिखे मूल्य के बराबर सोना बेच कर पैसे ले सकता है। ग्राहक चाहे तो घर पर डिलीवरी भी हो सकती है। इसमें सरकारी कंपनी एमएमटीसी से लेकर तनिष्क और कल्याण जैसी सोना-चांदी के आभूषण इत्यादि बेचने वाली कंपनियां और पेटीएम जैसी वित्तीय टेक्नोलॉजी वाली कंपनियां भी शामिल हैं।

एमएमटीसी तो स्विट्जरलैंड की कंपनी पीएमपी के साथ मिलकर डिजिटल सोना खरीदने की सुविधा दे रही है। ये बैंकों, ब्रोकिंग कंपनियों और पेटीएम जैसी कंपनियों के जरिए मिलता है।

यह भी पढ़ें : कोरोना काल : पर्यावरण संरक्षण के लिए हो रहा वैश्विक ऑनलाइन विरोध-प्रदर्शन

दरअसल सोने के लेकर भारतीयों में जो भरोसा है वही वजह है कि देश में इतनी भारी मात्रा में सोने की खरीददारी होती है। सोने में निवेशकों का हमेशा भरोसा रहता है और संकट के समय यह भरोसा और गहरा जाता है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से फैली महामारी के बीच इस समय सोने की मांग में भारी उछाल देखने को मिल रही है। थोक व्यापारी और खुदरा ग्राहक दोनों ही सोना खरीदने की होड़ में लगे हैं।

मार्च में कमोडिटी बाजारों में सोने के दाम सात साल में अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गए थे क्योंकि व्यापारियों ने कोविड-19 और उसके हानिकारक आर्थिक असर से बचने के लिए सोने की शरण ले ली थी। भारत में भी सोने की भारी मांग रहती ही है। अब देखना होगा इस बार अक्षय तृतीया पर तालाबंदी के बीच कितने ग्राहक डिजिटल गोल्ड अपनाते हैं।

यह भी पढ़ें : लॉकडाउन इफेक्ट : लंबा चला तो मुश्किल में आएंगे निर्यातक