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बाढ़ नियंत्रण को समय पर किये गये उपाय रोक सकती है जनधन की हानिः योगी

लखनऊः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि समय से बचाव के किए गए उपाय जनधन की हानि को व्यापक पैमाने पर रोक सकते हैं। बाढ़ क्षेत्रों का दौरा करने के दौरान जनप्रतिनिधियों को जो अक्सर देखने-सुनने को मिलता था, स्थानीय लोगों की जो पीड़ा हम महसूस करते थे, उसे दूर करने के लिए निरंतर उस दिशा में जो प्रयास प्रारम्भ हुए हैं आज उसका परिणाम है कि काफी बड़े पैमाने पर हमें बाढ़ से राहत देने में सफल हुए हैं। सीएम योगी ने जल शक्ति विभाग के अन्तर्गत सिंचाई एवं जल संसाधान विभाग द्वारा बाढ़ नियंत्रण की 146 परियोजनाओं का लोकार्पण और 170 परियोजनाओं का शिलान्यास किया।

अपने सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग पर आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण सम्बन्धी जितनी भी परियोजनाएं चल रही हैं, उनकी समयबद्धता व मानक की गुणवत्ता को ध्यान में रखा जाए। साथ ही हमें अच्छे कार्यों को प्रोत्साहित भी करना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जनपद के जिलाधिकारी का दायित्व है कि जो बचाव कार्य किए जा सकते हैं, उनकी कार्ययोजनाओं को बनाकर बारिश के मौसम से पहले शासन को भेज दें। हम राहत कार्य के लिए धनराशि की कमी नहीं होने देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभाग ने बाढ़ नियंत्रण के लिए जियो टैगिंग, सीसीटीवी आदि टेक्नोलॉजी का भी प्रयोग किया है। बाढ़ से बचाव कार्यों में आज हम उसका परिणाम देख सकते हैं। बाढ़ नियंत्रण कार्यक्रम अभी से प्रारम्भ किए जाएं। संवेदनशील क्षेत्रों के लिए अतिरिक्त धनराशि के लिए विभाग के साथ समन्वय कर ऐसे कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है, जिससे बारिश के दौरान प्रदेश का कोई व्यक्ति भयभीत न हो।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में जब प्रदेश में हमारी सरकार बनी तो 40 जनपद ऐसे थे, जो बाढ़ के लिए अतिसंवेदनशील और संवेदनशील माने जाते थे। इनमें 24 जनपद अतिसंवेदनशील और 16 जनपद संवेदनशील श्रेणी में रखे गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का पहले ही वर्ष उन्होंने जब स्वयं द्वारा किया तो सामने आया कि राहत सामग्री के रूप में कोई भी पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। बाढ़ बचाव के लिए कार्य योजना का कहीं अता पता नहीं था। उन्होंने कहा कि वहीं वर्तमान सरकार में जनता को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाव के लिए समय से स्थाई समितियों की बैठकों को शुरू किया गया। इसके लिए न केवल विस्तृत कार्य योजनाओं को बनाया गया, बल्कि उसे लागू करने और पूरी जवाबदेही के साथ कार्य सम्पन्न करने का परिणाम है कि आज विभिन्न योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्याय किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ बचाव के लिए हम लोगों ने इस दौरान पहली बार राज्य के इतिहास में कुछ नए प्रयोग भी किए इसके बहुत अच्छे परिणाम आए। जनप्रतिनिधियों ने भी इन प्रयोग की सराहना की और उसे अपने वहां लागू करने के लिए आवेदन किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने नदियों की ड्रेजिंग, चैनेलाइजेशन करने की कार्रवाई प्रारंभ की। उन्होंने कहा सरयू और राप्ती नदी में इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। यही कारण है कि पिछले चार वर्ष के दौरान बाढ़ की विभीषिका के मद्देनजर जन धन दोनों की हानि को काफी हद तक रोकने में सफलता प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि यह सब इसलिए संभव हो पाया कि स्थानीय स्तर पर हमारे विधायकों, सांसदों ने रुचि ली। जनता के प्रति अपनी जवाबदेही का परिचय दिया और विभागीय मंत्रियों, अधिकारियों ने पूरी प्रतिबद्धता और ईमानदारी के साथ इन परियोजनाओं को जमीन पर उतारने के लिए कार्य प्रारंभ किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अक्सर परियोजनाओं के बारे में कहा जाता था कि यह परियोजनाएं बरसात शुरू होने पर प्रांरभ होती थीं और बाढ़ के समाप्त होने के साथ ही इन परियोजनाओं को समाप्त मान लिया जाता था। उन्होंने कहा कि वहीं वर्तमान सरकार में जल शक्ति मंत्री डॉ. महेन्द्र सिंह और उनकी टीम ने जनवरी में ही इन कार्यों का शुभारम्भ कर दिया। इस वजह से 15 मई तक हम बाढ़ से बचाव से सम्बन्धित सभी 170 परियोजनाओं को पूरा कर सकेंगे या जो अधूरी परियोजनाएं हैं उनको भी हम समय से पूरा कर पाएंगे। इसका लाभ प्रदेश में बाढ़ को लेकर अतिसवंदेनशील और संवेदनशील 40 जनपदों की जनता को प्राप्त हो सकेगा।

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