इसी क्रम में बुधवार को सीएम नीतीश कुमार और उनके मंत्रिमंडल के साथ बैठक भी की.

सीएम नीतीश ने भी आगोग के सामने बिहार को विशेष राज्य का दर्ज देने की मांग को फिर से उठाया. हालांकि वित्त आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा देने की अनुशंसा करना, उसके क्षेत्राधिकार में नहीं है, लेकिन आश्वासन दिया कि जहां तक बिहार की जरूरतों का संबंध है, उसकी सिफारिशें ‘सहानुभूतिपूर्ण और सकारात्मक’ होगी.

15 वें वित्त आयोग की टीम के चार दिवसीय दौरे के अंतिम दिन यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह ने स्वीकार किया कि इस प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने के मामले को दिन की शुरुआत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘पुरजोर तरीके और शानदार ढंग से’ रखा

एनके सिंह ने कहा कि बिहार सचमुच बहुत कठिन रास्ते से गुजर रहा है. हालांकि उन्होंने कहा कि बिहार ने पिछले समय की तुलना में काफी विकास किया है. उन्होंने बिहार सरकार और उनके मंत्रियों की जमकर तारिफ की. बिहार ने जो तरक्की की है वह काफी सराहनीय है.

एनके सिंह ने कहा कि बिहार ने विषम परिस्थितियों के बावजूद काफी उन्नति की है. बिहार बगैर सहायता के अपनी विषमता दूर नहीं कर सकती है. बिहार का पर कैपिटा इनकम राष्ट्रीय औसत से कम है. हालांकि बिहार में काफी संभावनाएं हैं. अभी जो बिहार की स्थिति है वह मध्यम वर्ग को दर्शा रही है.

हालांकि, उन्होंने कहा कि विशेष राज्य दर्जे की मांग जटिल मांग है. इसका जवाब हा या न में नहीं दिया जा सकता है. लेकिन इस मांग की समीझा होनी चाहिए.

इसके अलावे बिहार सरकार की ओर से उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने 15वें वित्त आयोग को ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में सुशील कुमार मोदी ने 2011 की सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना, इनकम डिस्टेंस, आबादी का धनत्व, हरित आवरण आदि मानकों के आधार पर केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी के लिए नया फर्मूला तय किया है.